फिर खुलेगी तहसीलदार हत्या मामले की फाइल
9 सितंबर 2014 को धर्मशाला के सिद्धबाड़ी में हुई तहसीलदार निवार्चन नवजीवन मनकोटिया की हत्या मामले के बंद पड़ी फाइल एक बार फिर से खुलेगी और मामले के दबी परतें पुन: उधड़ेंगी।
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : नौ सितंबर, 2014 को सिद्धबाड़ी में हुई तहसीलदार नवजीवन मनकोटिया की हत्या के मामले में बंद पड़ी फाइल अब फिर से खुलेगी। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) धर्मशाला विवेक शर्मा की अदालत ने मंगलवार को केस पर सुनवाई करते हुए धर्मशाला पुलिस को मामले की दोबारा जांच का आदेश दिया है। कोर्ट के आदेश से पीड़ित परिजनों में न्याय की उम्मीद जगी है।
सिद्धबाड़ी निवासी नवजीवन मनकोटिया चंबा में तहसीलदार निर्वाचन के रूप में तैनात थे। नौ सितंबर, 2014 की रात करीब नौ से दस बजे सिद्धबाड़ी के एक रेस्तरां के सामने संदिग्ध हालात में उनका शव मिला था। पुलिस जांच मेंबताया गया था कि नवजीवन की मौत रेस्तरां की छत से गिरने के कारण हुई थी। पुलिस जांच से असंतुष्ट परिजनों ने अक्टूबर 2014 के पहले सप्ताह में धर्मशाला में कैंडल मार्च निकालकर सीबीआइ जांच की मांग की थी। 12 नवंबर तक पुलिस प्रशासन ने मामले में शक के आधार पर 50 लोगों से पूछताछ की, लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं लगा। इसके बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने मामला सीआइडी को सौंप दिया और जिला ऊना से सीआइडी क्राइम इंचार्ज रामस्वरूप को मामले का जांच अधिकारी तैनात किया। इसके बाद भी सीआइडी की जांच रपट और फॉरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने मामला दर्ज किया था। इसके बावजूद नवजीवन के भाई संजीवन ने दोबारा केस दर्ज करवाया था। इस पर मंगलवार को न्यायालय ने धर्मशाला पुलिस को मामले की दोबारा जांच का आदेश दिया है। उधर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कांगड़ा संतोष पटियाल ने बताया कि न्यायालय के आदेश पर मामले की निष्पक्षता से जांच की जाएगी।
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पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठाया था सवाल
नवजीवन के भाई संजीवन मनकोटिया ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया था। उनका कहना था कि उन्हें वारदात के पहले दिन से ही पुलिस की कार्यप्रणाली पर संदेश था। बकौल संजीवन, जिस रात हादसा हुआ उन्होंने पुलिस चौकी योल में फोन किया तो वहां से मात्र दो गृहरक्षकों को भेजा गया था। सीआइडी की जांच रिपोर्ट में क्या तथ्य पेश किए गए थे उन्हें भी सार्वजनिक नहीं किया गया था।
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कब क्या हुआ
-9 सितंबर, 2014 को सिद्धबाड़ी में नवजीवन मनकोटिया का शव मिला।
-10 सितंबर को टांडा अस्पताल में हुआ पोस्टमार्टम।
-13 सितंबर को रिपोर्ट में निकली शराब और शरीर में रगड़ और मुंह में चोटों के निशान।
-पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद हत्या का मामला दर्ज हुआ।
-22 सितंबर तक सिद्धबाड़ी में रेस्तरां के आसपास के 10 लोगों से पूछताछ हुई।
-अक्टूबर के पहले सप्ताह परिजनों ने धर्मशाला में निकाला कैंडल मार्च।
-12 नवंबर तक 50 लोगों से पूछताछ।
-15 नवंबर को सीआइडी को सौंपा केस, ऊना से रामस्वरूप के बनाया जांच अधिकारी।
-90 दिन बाद सीआइडी की जांच रिपोर्ट के बाद कोर्ट में केस किया रद।
-केस रद होने के साथ ही परिजनों ने फिर न्यायालय में लगाया केस।