सोलर सिग्नल सिस्टम से दूर होगी कांगड़ा घाटी रेल की लेटलतीफी
पठानकोट-जोगेंद्रनगर रेलमार्ग पर अब सोलर सिग्नल सिस्टम रेलगाड़ियों के लेट होने की समस्या हल रकेगा।
रक्षपाल धीमान, नगरोटा सूरियां
पठानकोट-जोगेंद्रनगर नैरोगेज रेलमार्ग पर अब मैनुअल सिग्नल प्रणाली की जगह सोलर सिस्टम को अपनाया गया है। इससे अब रेलमार्ग पर रेलगाड़ियों के देर से आने की समस्या लगभग समाप्त हो जाएगी।
गर्मी के मौसम में भले ही मैनुअल सिग्नल बंद होने की समस्या नहीं आती थी, लेकिन बरसात या हवा चलने पर ये सिग्नल अक्सर बंद हो जाते थे। इससे रेलगाड़ियां लेट हो जाती थी। इससे जहां कर्मचारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता था, वहीं यात्रियों का भी समय बर्बाद होता था। अब सोलर पैनल के साथ सिग्नल पर ऑटो टाइ¨मग फिट की गई है। यह सिस्टम अंधेरा होने पर अपने आप काम शुरू कर देगा और सुबह होते ही बंद हो जाएगा। ऐसा होने से यात्रियों के समय की बचत होगी। साथ ही रेलवे को भी आर्थिक तौर पर लाभ होगा। रेलवे मंडल फिरोजपुर में केवल पठानकोट-जोगेंद्रनगर एकमात्र रेल सेक्शन था, जहां अभी तक मैनुअल तरीके से सिग्नल प्रणाली चल रही थी। मैनुअल सिग्नल प्रणाली में रेलवे को रोजाना मिट्टी का तेल इस्तेमाल करना पड़ता है। बारिश, हवा व तूफान चलने पर अधिकतर बार ये बुझ जाते हैं। सिग्नल लाइट बुझने पर ट्रेन चालक को ट्रेन सिग्नल पर रोकनी पड़ती थी। इसके बाद साथ लगते स्टेशन से स्टेशन मास्टर को कर्मचारी भेजकर दोबारा सिग्नल लाइट जलानी पड़ती थी। इस कारण ट्रेन निर्धारित समय से लेट हो जाती थी। सोलर पैनल से जुड़ने के बाद अब आंधी, तूफान व वारिश का सिग्नल लाइट पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
रेलवे की सिग्नल एंड टेलीकॉम शाखा के अधिकारियों का कहना है कि पहले सिग्नल लाइट जलाने व बुझाने के लिए प्रत्येक सिग्नल पर दो कर्मचारी तैनात करने पड़ते थे। अब सोलर पैनल से जुड़ने के बाद इनकी तैनाती नहीं करनी पड़ेगी।
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164 किलोमीटर लंबे पठानकोट- जोगेंद्रनगर नैरोगेज रेल सेक्शन पर सभी 80 सिग्नलों को सोलर पैनल से जोड़ दिया गया है। इससे रेलवे को दिन में औसतन 50 लीटर से भी अधिक केरोसिन तेल की बचत होगी। सोलर सिग्नल प्रणाली से अब ट्रेनों के लेट होने की समस्या भी समाप्त हो गई है।
-अर¨वद सैनी, वरिष्ठ अनुभाग अभियंता एस एंड टी (सिग्नल एंड टेलीकॉम) पठानकोट।