आम की जेब ढीली, खास की चांदी
नीरज दुसेजा नगरोटा बगवां आलू हर सब्जी का साथी माना जाता है। गरीबों की थाली में कुछ हा
नीरज दुसेजा, नगरोटा बगवां
आलू हर सब्जी का साथी माना जाता है। गरीबों की थाली में कुछ हो या न हो लेकिन आलू की सब्जी से ही काम चल जाता था, लेकिन अब आलू ने जो रफ्तार पकड़ी है उससे यह गरीबों की थाली से दूर होता जा रहा है। पिछले एक सप्ताह से आलू के दाम में तेजी आई है। अब यह पचासा जड़ने के लिए बेताब है यानी अब आलू 40 से 50 रुपये प्रतिकिलो बिक रहा है। दूसरा पक्ष यह भी है कि आलू बेशक महंगा बिक रहा है, लेकिन इसका आर्थिक लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है। आम लोगों की बेशक जेब ढीली हो रही है, लेकिन यह पैसा खास यानी बिचौलियों के पास पहुंच रहा है। किसानों से 12 से 15 रुपये के बीच आलू की फसल खरीदने के बाद बाजार में 40 से 50 रुपये प्रति किलो बिक्री के लिए पहुंचाना अपने आप में जांच का विषय है।
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पठियारी आलू है हर जगह मशहूर
दिल्ली एवं अन्य राज्यों में पठियारी आलू के नाम से प्रसिद्ध नगरोटा बगवां क्षेत्र में इसकी करीब 900 हेक्टेयर भूमि में पैदावार की जाती है। बिजाई दिसंबर में होती है तथा मई में फसल तैयार हो जाती है। मौजूदा समय में भी कुछ किसान आलू की बिजाई करते हैं लेकिन अब बीज 35 से 40 रुपये प्रति किलो मिल रहा है। अब किसानों को चिंता सताने लगी है कि यदि दाम कम नहीं हुए तो दिसंबर में महंगा बीज खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। आलू उत्पादकों के पास फसल को स्टोर करने के लिए पर्याप्त जगह नहीं होती है इसलिए बिचौलिये किसानों से फसल खरीदकर कोल्ड स्टोर में रख लेते हैं। आलू विक्रेताओं की मानें तो 10 से 20 रुपये के बीच बिकने वाला आलू इतिहास में पहली बार 50 रुपये के ऊपर बिक रहा है।
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आलू की बढ़ती कीमत ने रसोई का स्वाद बिगाड़ कर रख दिया है। आलू को हर सब्जी के रूप में प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन मौजूदा समय में इसकी खरीद के लिए हाथ पीछे करने पड़ रहे हैं।
-अश्विनी कुमार।
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आलू खरीदने पर पहले से ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ रही है। आलू की यकायक कीमत में बढ़ोतरी समझ से परे है। सरकार को बिचौलियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने चाहिए।
-सोनी कुमार।
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व्यापारी खेतों से ही सस्ते दाम पर आलू खरीद लेते हैं। मौजूदा समय में बाजार में महंगे बिक रहे आलू का लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है। बिचौलिये ही मुनाफा कमा रहे हैं।
-राजेंद्र कुमार
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किसानों के पास फसल को लंबे समय तक स्टोर करने की पर्याप्त जगह नहीं होती है और इसका लाभ बड़े-बड़े व्यापारी उठाते हैं। आलू की फसल को कम रेट में खरीदकर महंगे दाम पर बेचते हैं।
-संदीप कुमार
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शायद पहली बार आलू 50 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। बाजार में पहले से ही खरीदारों की कमी है और अब महंगे दाम के कारण बिक्री कैसे होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
-रमेश कुमार
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महंगे दाम का असर दिसंबर में बिकने वाले बीज पर पड़ना स्वाभाविक है। किसानों से कम कीमत पर फसल खरीदी जाती है, लेकिन बाजार में महंगा बिकने जांच का विषय है।
-एमएस मंडोत्रा, कृषि विशेषज्ञ