अतिक्रमण की मार, मर्ज क्षेत्र सुविधा से वंचित
राजेंद्र डोगरा धर्मशाला धर्मशाला शहर की आबादी बढ़ने से पुरानी ड्रेनेज प्रणाली हांफ गइ
राजेंद्र डोगरा, धर्मशाला
धर्मशाला शहर की आबादी बढ़ने से पुरानी ड्रेनेज प्रणाली हांफ गई है। यही वजह है कि स्मार्ट सिटी का तमगा मिलने के बाद भी शहर के बाशिंदे सुविधा से वंचित हैं। हालांकि पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण शहर की भौगोलिक स्थिति मददगार बनी है, लेकिन व्यवस्था के सुधार के लिए कदम न उठने से अक्सर बारिश का पानी सड़क पर बहता है। इसका कारण यह है कि जल निकासी प्रबंधन के लिए बनाई गई नालियां कचरे व गाद से भर चुकी हैं। पुराने शहर यानी मर्ज क्षेत्रों में अतिक्रमण की मार भी निकास नालियों पर पड़ रही है। कई जगह तो निकास नालियों का नामोनिशान ही नहीं है।
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यह है शहर की स्थिति
नगर निगम धर्मशाला के तहत 17 वार्ड हैं और शहर की आबादी 53,543 है। 2015 में शहर का दायरा बढ़ा है लेकिन इस अवधि में भी ड्रेनेज प्रणाली पुरानी ही है। केवल मैक्लोडगंज में कुछ स्थिति सुधरी है। कचहरी अड्डा के साथ लगते कॉलेज रोड में निकास नालियां दुरुस्त न होने से पानी सड़क पर बहता है।
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शहर में पुरानी ही व्यवस्था है। निकास नालियों में कचरे व गाद का साम्राज्य है। जलभराव से काफी नुकसान होता है।
-प्रताप चंद, पूर्व प्रधान खनियारा।
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निकास नालियों की पुख्ता व्यवस्था होनी चाहिए। जिन स्थानों पर स्लैब डाले गए हैं वहां बड़ी पाइपें डाली जानी चाहिए।
-विकास महाजन, खनियारा।
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जल निकासी प्रबंधन की व्यवस्था पूरे शहर में होनी चाहिए। इस प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।
-मुनीष शर्मा, बड़ोल।
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पुरानी ड्रेनेज व्यवस्था हांफ गई है। जिला प्रशासन व नगर निगम के अधिकारियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
-अरविद रकवाल, सचिवालय।
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सभी लोगों की जिम्मेदारी है कि वे निकास नालियों में कचरा न फेंकें। जहां कमी है उसे सुधारा जाएगा।
-देवेंद्र जग्गी, महापौर नगर निगम धर्मशाला।
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ड्रेनेज व्यवस्था को सुधारने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है। लोग भी जिम्मेदारी समझें और निकास नालियों में अतिक्रमण न करें।
-प्रदीप ठाकुर, आयुक्त नगर निगम धर्मशाला।