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नहीं कोई दरार..सुधीर पर कांग्रेस लाचार

उपचुनाव को लेकर बजी रणभेरी के बीच निर्णय की घड़ी में भी अब धीरे-धीरे नजदीक है। तरकश से तीर दोनों ओर से निकल रहे हैं लेकिन कहीं ना कहीं बाणों के निशाने पर अपने ही हैं। एकजुटता के ढोल की पोल भाजपा व कांग्रेस की खुली है तो अब सहारा सिर्फ डैमेज कंट्रोल पर है। कांग्रेस से छिटके पुनीश तो भाजपा से दूर हए राकेश अपनी-अपनी राह हैं। भाजपा ने ओबीसी से आजाद रूप से चुनाव मैदान में उतरे राकेश से होने वाले नुकसान को लेकर इसी वर्ग से जिला परिषद सदस्य अनिल चौधरी व पूर्व में ओबीसी के आजाद रूप से चुनाव मैदान में उतरे कमल चौधरी को अपने साथ मिलाया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Oct 2019 07:37 PM (IST)Updated: Thu, 10 Oct 2019 06:35 AM (IST)
नहीं कोई दरार..सुधीर पर कांग्रेस लाचार
नहीं कोई दरार..सुधीर पर कांग्रेस लाचार

दिनेश कटोच, धर्मशाला

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उपचुनाव के लिए बजी रणभेरी के बीच निर्णय की घड़ी अब नजदीक है। तरकश से तीर दोनों ओर से निकल रहे हैं, लेकिन कहीं न कहीं इनके निशाने पर अपने ही हैं। एकजुटता की पोल भाजपा व कांग्रेस दोनों की खुली है। कांग्रेस से छिटके पुनीष पाधा और भाजपा से दूर हए राकेश अपनी-अपनी राह पर हैं।

भाजपा ने आजाद रूप से चुनाव मैदान में उतरे राकेश से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए इसी वर्ग से जिला परिषद सदस्य अनिल चौधरी व पूर्व में आजाद रूप से चुनाव मैदान में उतरे कमल चौधरी को अपने साथ मिलाया है। दूसरी ओर कांग्रेस ने भी पुरानों को गले लगाकर चुनावी रथ को आगे बढ़ाया है। कांग्रेस ने धर्मशाला से पूर्व विधायक प्रो. चंद्रवर्कर का आशीर्वाद मांगा है। कांग्रेस भले ही एकजुटता के साथ मैदान में है, लेकिन पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा को लेकर अब भी कहीं न कहीं लाचार है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर ने पत्रकारवार्ता के दौरान एकजुटता का संदेश देने का प्रयास किया। इस दौरान ब्लॉक अध्यक्ष से लेकर राज्यसभा सदस्य तक मौजूद रहे लेकिन सवाल उन पर सुधीर की गैरमौजूदगी का रहा। भले ही सुधीर प्रत्यक्ष रूप से चुनाव मैदान में नहीं हैं, लेकिन उनकी ओर निगाहें हर किसी की लगी हुई हैं। उपचुनाव में राम की जय ही नहीं बल्कि राठौर की प्रतिष्ठा भी दाव पर है।

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प्यारी भी थी भाजपा की दुलारी

कुलदीप राठौर भाजपा में चली गुटबाजी के बीच पच्छाद से आजाद उम्मीदवार दयाल प्यारी की तारीफ भी कर गए। बकौल राठौर, दयाल प्यारी भाजपा की सशक्त उम्मीदवार थी, लेकिन उसे टिकट नहीं दिया गया। हालांकि राठौर ने दयाल प्यारी को सशक्त उम्मीदवार बताया, लेकिन उनका यह सार्वजनिक बयान उपचुनाव के लिए किसी बड़े राजनीतिक घटनाक्रम से कहीं कम नहीं है।

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ये भी रहे सवाल

राठौर से कुछ सवाल सुधीर को लेकर रहे। प्रश्न यह रहा कि सुधीर कैसे हैं? वह कहां हैं? क्या किसी से उनकी बात हुई ? और वह कब उपचुनाव में सामने आएंगे? इन सवालों में सिर्फ एक जवाब ही था कि वह जल्द उपचुनाव के रण में शामिल होंगे। सवाल भी यह भी उठा कि जब पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को देखने के लिए कांग्रेस के लोग जा सकते हैं तो सुधीर के बारे में उनके पास कोई जानकारी क्यों नहीं है?


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