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कौन सही कौन गलत, फैसला मौके पर

लोकसभा चुनावों की सरगर्मियां तेज हैं तो जाहिर सी बात है कि हर ओर चुनावों की ही बातें आम हैं फिर चाहे वो गली हो चौबारा हो या बस में बैठी सवारियां। चुनावी माहौल के बारे में बस में बैठी सवारियों की नब्ज टटोलने जब पालमपुर से सुजानपुर जा रही एक निजी बस में भवारना से चढ़ा

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 08:09 PM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 06:58 AM (IST)
कौन सही कौन गलत, फैसला मौके पर
कौन सही कौन गलत, फैसला मौके पर

लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हैं तो जाहिर सी बात है कि हर ओर चुनाव की ही बातें आम हैं। फिर चाहे गली हो, चौबारा हो या बस में बैठी सवारियां। चुनावी माहौल के बारे में सवारियों की नब्ज टटोलने के लिए जब पालमपुर से सुजानपुर जा रही निजी बस में भवारना से चढ़ा तो कंडक्टर ने टिकट काटनी शुरू की। इस दौरान एक सवारी ज्यादा पैसे काटने पर कंडक्टर से उलझ पड़ी। इस पर कंडक्टर ने भी मोदी सरकार पर फब्ती सकते हुए कहा कि डीजल के रेट कम करवाओ, फिर लगेगा कम किराया। बस फिर क्या था। इससे ही चुनावी चर्चा शुरू हो गई। इस दौरान बुजुर्ग महिला कलावती देवी से पूछा कि वह वोट किसे डालेंगी तो कहने लगीं कि बच्चा वोट ता मोदीए जो ही पाणा पर असां जो ता मिलणा कमाई करि ही है। महिला की बात सुनकर बस में सवार सभी सवारियां हंस पड़ीं। महिला ने बताया कि वह ज्यादा पढ़ी-लिखी तो नहीं है पर इतना जरूर जानती है कि देश में जो भी तरक्की हो रही है, वह मोदी की बदौलत ही है। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए हरीश चंद कहते हैं कि मोदी के लिए गए कुछ फैसले भले ही जनता को कड़वे लग रहे हैं लेकिन भविष्य में इसके दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे। युवा रोहित वालिया जो कॉलेज से घर भाटलू जा रहा था, ने चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि आज महंगाई कहां से कहां पहुंच गई है। बस में रोज सफर करने वाले आम आदमी की जेब पर डीजल के रेट बढ़ने की वजह से डाका पड़ रहा है। कालू दी हट्टी से नागनी गांव के लिए जा रही महिला ने युवक का साथ देते हुए कहा कि आज महंगाई ने गृहिणियों की रसोई का जायका बिगाड़ कर रख दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस बोलती है कि बीजेपी के समय में महंगाई है और भाजपा वाले कांग्रेस को कोसते हैं। ऐसे में कौन सही है और कौन गलत यह कह पाना मुश्किल है। इसका फैसला मतदान के दिन ही लिया जाएगा। चर्चा में भाग लेते हुए एक अन्य महिला ने बताया कि जो सांसद या विधायक क्षेत्र को मूलभूत सुविधाएं देने में ही नाकाम रहते हैं वह आगे जाकर केंद्र में भी क्या मुद्दे प्रदेश हित के रखेंगे, यह भी सोचने वाला विषय है। चुनाव के समय तो सब वादे करते हैं लेकिन बाद में नेताओं के दर्शन दुर्लभ हो जाते हैं। एक अन्य बुजुर्ग कहते हैं कि प्रदेश में समस्याएं बेशुमार हैं। मौजूदा समय में बेसहारा पशुओं, जंगली जानवरों और बंदरों के आतंक से लोगों ने खेतीबाड़ी करनी छोड़ दी है। चुनाव की बातें सुनते और करते कब कहां से कहां पहुंच गया पता ही नहीं चला। आखिर मुद्दों को उठाने वाली सवारियां भी धीरे-धीरे गंतव्य पर उतर गई और मैं भी थुरल में उतर गया।

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