पानी भरपूर पर ग्रामीणों से काफी दूर
पानी बिजली व स्वास्थ्य सेवाएं आज मूलभूत सुविधाएं हैं, और अगर इन सुविधाओं के लाभ से ही गांव के लोग वंचित हों तो विकास की भी क्या उम्मीद की जा सकती है। डिजीटल के इस युग में पंचायत में मोबाइल सिग्नल भी ना हो तो कैसे पंचायतों में डिजीटल का कार्य होगा इसका भी अंदाजा सहज लगाया जा सकता है। ऐसी ही कुछ समस्याओं की बानगी भी है पौंग किनारे बसे गांव धमेटा व इसके आस-पास की पंचायतों के बा¨शदों की। पंचायतें अपने स्तर पर तो विकास की लौ गांव में जगा रही हैं, लेकिन कहीं राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी तो कहीं सुविधाएं होने के बावजूद भी उनका
जागरण संवाददाता, धमेटा : पानी, बिजली व स्वास्थ्य मूलभूत सुविधाएं हैं और लोग इनसे ही वंचित हों तो विकास की क्या उम्मीद की जा सकती है। डिजिटल के इस युग में मोबाइल फोन सिग्नल भी न हो तो पंचायतें कैसे हाइटेक होंगी, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसी ही कुछ समस्याओं का सामना कर रहे हैं पौंग बांध किनारे बसे धमेटा व आसपास की पंचायतों के बा¨शदे। पंचायतें अपने स्तर पर तो विकास की लौ जगा रही हैं, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी से लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र के धमेटा में दैनिक जागरण की ओर से आयोजित 'आईए प्रधान जी' कार्यक्रम में धमेटा व आसपास की पंचायतों के प्रधानों व उपप्रधानों सहित स्थानीय लोगों ने अपना दर्द बयां किया। कार्यक्रम में ट्यूबवेल न होने पर पंचायत प्रतिनिधियों ने नाराजगी जताई। पंचायत बरुणा व जगरोली में ट्यूबवेल तो लगाए हैं, लेकिन वहां से पानी की सप्लाई पंचायतवासियों के लिए नहीं है। जहां कहीं ट्यूबवेल काम कर भी रहे हैं वहां आलम यह है उन्हें चलाने के लिए पंप ऑपरेटर नहीं हैं। कहीं कुओं के सहारे पेयजल की आपूर्ति तो है, लेकिन दूषित पानी लोगों की समस्याओं को बढ़ा रहा है। बरोना में हालात ये हैं कि पंचायत घर में मोबाइल फोन का सिग्नल नहीं है और इस कारण पंचायत प्रतिनिधियों का आपस में संपर्क नहीं हो पाता है। हालात ये हैं कि पंचायत घर में नेटवर्क न होने से किसी डिजिटल कार्य के लिए पंचायत प्रतिनिधियों को फतेहपुर जाना पड़ता है। स्वच्छता के नाम पर गांवों में कूड़ादान तो लगाए हैं लेकिन समस्या यह है कि इनसे कचरा उठाने वाला कोई नहीं है। पंचायतों में मनरेगा के तहत विकास कार्य तो हो रहे हैं लेकिन मजदूरों की कम दिहाड़ी भी बड़ी समस्या पंचायत प्रतिनिधियों के समक्ष मुंह बाएं खड़ी है। पंचायत प्रतिनिधियों की समस्या यहीं खत्म नहीं होती है। विकास को पंख कैसे लगेंगे जब रेत व बजरी खरीदने के लिए उन्हें पैसा ही नहीं मिल पाता है। पंचायत में किसी भी कार्य के लिए सरकारी भूमि का पंचायत के नाम हस्तांतरण भी न होना भी विकास में बड़ी बाधा है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में धमेटा व आसपास की पंचायतों का सहारा धमेटा में स्थित छह बिस्तर वाला चिकित्सालय एक ही चिकित्सक के सहारे है। अस्पताल में लेबोरेटरी तो है लेकिन रक्त की जांच करने वाला कोई नहीं है।
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प्रमुख समस्याएं जो सामने आई
-ट्यूबवेल का पानी मुहैया नहीं।
-पेयजल दूषित और कुओं की नहीं साफ-सफाई।
-कूड़ादानों से कचरा उठाने की कोई व्यवस्था नहीं।
- मुख्य बाजार धमेटा में सार्वजनिक शौचालय की सुविधा नहीं।
-गांव में कम वोल्टेज।
- हाई स्कूल की जरूरत।
-ट्यूबवेल पर पंप ऑपरेटर नहीं।
-सरकारी भूमि पंचायत के नाम नहीं।
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ये रहे मौजूद
अनु सोमल पंचायत प्रधान बरोना, संध्या देवी पंचायत प्रधान खटियाड़, गोरख चंद पंचायत प्रधान नागल, रमेश ¨सह पंचायत उपप्रधान हड़वाल, जरनैल ¨सह उपप्रधान हाड़ा, सतनाम ¨सह उपप्रधान फतेहपुर, दिलबाग ¨सह उपप्रधान जगनोली, जगदेव ¨सह उपप्रधान धमेटा, कुलवंत ¨सह पूर्व प्रधान बरोना, र¨वद्र ¨सह पूर्व प्रधान हड़वाल, कमलजीत, आरती देवी सहित पंचायतों के वार्ड सदस्य व ग्रामीण मौजूद रहे।