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न नीति, न नियम..व्यवस्था कचरा-कचरा

प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा के शहरों में टनों के हिसाब से निकलने वाले कूड़े के निस्तांरण की ही व्यवस्था नहीं है। यही वजह है कि शहरों का वातावरण दूषित हो रहा है। जहां प्रशासन कोई ठोस नीति इस संबंध में नहीं बना पाया

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 07:26 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 07:26 PM (IST)
न नीति, न नियम..व्यवस्था कचरा-कचरा
न नीति, न नियम..व्यवस्था कचरा-कचरा

प्रदेश के सबसे बड़े जिले कांगड़ा के शहरों में हर रोज टनों के हिसाब से इकट्ठे हो रहे कूड़े के निस्तारण की व्यवस्था न होना स्वच्छ भारत अभियान को सार्थक होने से रोक रहा है। आलम यह है कि प्रशासन इस समस्या से निपटने के लिए आज दिन तक न ठोस नीति बना पाया है और न ही नीति। मजबूरी में लोग जहां जगह मिल रही है वहां कचरा फेंक रहे हैं। हालांकि विकास खंड भवारना की पंचायत आईमा कूड़ा निस्तारण के लिए आगे रही है। पालमपुर से निकलने वाले कचरे से यहां स्थापित कूड़ा संयंत्र की मदद से खाद बनाने के साथ-साथ ईटें भी तैयार की जा रही हैं लेकिन जिले के अन्य शहरों में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।

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धर्मशालावासियों को नहीं मिला भूमिगत कूड़ादानों का लाभ

स्मार्ट सिटी धर्मशाला में स्थापित भूमिगत कूड़ादानों का कोई भी लाभ नहीं मिल पाया है। इसकी वजह यह है कि कूड़ादानों में बेशक अलग-अलग प्रकार के कचरे को डालने की व्यवस्था की गई है, लेकिन गाड़ी इकट्ठा ही कूड़ा उठाती है और उसे डं¨पग साइट में एक साथ फेंकती है। संयंत्र न होने से डं¨पग साइट में पड़ा कूड़ा भी वातावरण को दूषित कर रहा है। यही आलम अन्य शहरों का भी है। कलस्टर स्तर पर कूड़ा संयंत्र लगाने की मुहिम तो प्रशासन की ओर से शुरू हुई थी, लेकिन उसका अभी तक सकारात्मक परिणाम नहीं निकल पाया है। ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि का पेंच फंस गया है। हालांकि ग्रामीण विकास विभाग की ओर से 20 लाख तक की धनराशि का प्रावधान है, लेकिन भूमि का अड़ंगा यहां भी बाधा बना हुआ है।

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पंचायतों में कूड़ा संयंत्र लगाने के लिए 20 लाख रुपये तक का प्रावधान है, लेकिन जमीन का पेंच जरूर है। कुछ स्थानों में भूमि चिह्नित की गई है। कलस्टर स्तर पर संयंत्र लगाने की योजना है, ताकि एक साथ तीन से चार पंचायतों का कचरा ठिकाने लगाया जा सके। अभी तक आईमा पंचायत में ही संयंत्र है।

-मुनीष शर्मा, उपनिदेशक एवं परियोजना अधिकारी डीआरडीए।

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कलस्टर स्तर पर प्रोसेसिंग प्लांट लगाया जाना प्रस्तावित है। धर्मशाला के कूड़े को ठिकाने लगाने के लिए छोटा संयंत्र लगाने की योजना बनाई जा रही है। जल्द डोर-टू-डोर कूड़ा एकत्रित किया जाएगा।

-देवेंद्र जग्गी, महापौर नगर निगम धर्मशाला।

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क्या कहते हैं शहरवासी

शहर में अलग-अलग कूड़ा डालने के लिए बेशक भूमिगत कूड़ादान स्थापित किए हैं, लेकिन इनका तब तक कोई लाभ नहीं है जब तक कचरे के निस्तांरण के लिए संयंत्र न हो। सबसे संयंत्र लगाया जाना चाहिए। हरेक कूड़ादान से कचरा उठाया जाना चाहिए।

-एसएस गुलेरिया, संस्थापक हिमाचल बचाओ मंच।

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सफाई व्यवस्था को पुख्ता किया जाना चाहिए। चीलगाड़ी रोड पर आज भी लोग शराब व बीयर पीने के बाद बोतलें यहां-वहां फेंक रहे हैं। मामले को उठाया भी गया था, लेकिन ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

-डॉ. अंजन कालिया, समाजसेवी

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ग्रामीण क्षेत्रों में जनप्रतिनिधि प्रयासरत हैं, लेकिन जनता को भी सहयोग देना चाहिए। तभी स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत की दिशा में सार्थक कदम उठाया जा सकता है। कचरे को हर घर से उठाए जाने की आवश्यकता है।

-राकेश कुमार, बरवाला निवासी

-प्रस्तुति : राजेंद्र डोगरा, धर्मशाला


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