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लड़ी जाएगी पौंग विस्थापितों की लड़ाई

पौंग बांध विस्थापितों को उनका हक दिलाया जाएगा, इस मुद़दे को लेकर हिमाचल सरकार शीघ्र बैठक करेगी।

By Edited By: Published: Wed, 12 Dec 2018 09:11 PM (IST)Updated: Thu, 13 Dec 2018 02:59 AM (IST)
लड़ी जाएगी पौंग विस्थापितों की लड़ाई
लड़ी जाएगी पौंग विस्थापितों की लड़ाई

धर्मशाला, जेएनएन। दशकों से विस्थापन का दंश झेल रहे पौंग बांध विस्थापितों को हक दिलाया जाएगा। हिमाचल के हक की लड़ाई कानूनी तरीके से लड़ी जाएगी। हिमाचल सरकार राजस्थान से शीघ्र बैठक करेगी और पात्रों को हक दिलाया जाएगा। सदन में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर नियम-130 के तहत पौंग विस्थापनों की स्थिति पर देहरा विधायक होशियार सिंह के लाए प्रस्ताव पर जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि बहुत दुख की बात है कि प्रदेश का पानी व जमीन लेकर राजस्थान तो आबाद हो गया, लेकिन यहां के लोग दशकों बाद भी बर्बाद हैं। उन्होंने कहा, पौंग बांध के निर्माण के लिए भू-अधिग्रहण का कार्य 1961 में शुरू हुआ था और 1971 में पूरा हुआ था।

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वर्ष 1972 में 75 हजार 261 एकड़ भूमि पर 226 गांव पूरी तरह से और 113 आंशिक रूप से प्रभावित हुए थे। पौंग बांध निर्माण से 20 हजार 722 परिवार प्रभावित हुए थे। इस दौरान कुछेक परिवारों को राजस्थान में भूमि प्राप्त करने के लिए पात्रता प्रमाणपत्र जारी किए गए, जबकि हजारों परिवारों को पात्र ही नहीं माना गया। उन्होंने कहा कि 1188 मुरब्बे आवंटित नहीं हो पाए हैं, जबकि 2180 अब भी लंबित हैं। मुख्यमंत्री ने कहा किराजस्थान में सत्ता परिवर्तन हुआ है और सरकार गठित होने के बाद राजस्थान सरकार के समक्ष मामला उठाया जाएगा। हाईकोर्ट की हाई पावर कमेटी में हिमाचल और राजस्थान के उच्च अधिकारी शामिल हैं। 24 वर्ष से लंबित बैठक जल्द करवाई जाएगी। साथ ही राजस्थान से हिमाचल के हक प्राप्त करने के लिए कानूनी लड़ाई भी लड़ी जाएगी। प्रस्ताव पेश करते हुए विधायक होशियार सिंह ने कहा कि पौंग विस्थापित दयनीय स्थिति से गुजर रहे हैं।

पुनर्वास की सही प्रकार से व्यवस्था किए बिना ही 1972 में अढ़ाई लाख के करीब लोगों को उठाकर राजस्थान भेज दिया गया। तबसे लेकर हकों के लिए विस्थापित परिवार बीकानेर, जैसलमेर व शिमला में कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को 1410 फीट पानी के स्तर को नीचे उतारकर एक हजार फीट पहुंचाकर 60 हजार लोगों को बसाने की व्यवस्था करनी चाहिए। हालांकि प्रस्ताव के तहत चर्चा होनी थी, लेकिन निर्वासित सरकार के कार्यक्रम के कारण प्रस्ताव पर सदन में चर्चा नहीं हो पाई। इस पर विधायक राकेश पठानिया ने भी नाराजगी जताई।


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