विस्थापन के चार साल बाद भी नसीब नहीं हुई छत
विस्थापन के चार साल बाद भी छत नसीब नहीं हुई है।
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : विस्थापन के चार साल बाद भी छत नसीब नहीं हुई है। चरान खड्ड बस्ती पुनर्वास समिति के सदस्यों ने बुधवार को उपायुक्त को ज्ञापन सौंप 50 परिवारों का जल्द से जल्द पुनर्वास करने की मांग की। यह वे लोग हैं जो लंबे समय से धर्मशाला के चरान खड्ड में दिहाड़ी मजदूरी करके गुजर बसर कर रहे हैं। चार साल पहले 16-17 जून, 2016 को इस बस्ती को नगर निगम ने बिना किसी वैकल्पिक पुनर्वास योजना के उजाड़ दिया था। करीब 300 लोग बेघर हो गए थे । इस जबरन बेदखली की प्रक्रिया उस समय हुई जब मानसून सिर पर था और जिसके कारण इस समुदाय के बच्चे, बूढ़े, महिलाएं और दिव्यांग लोगों को बिना किसी छत के भारी मानसून में गुजर-बसर करना पड़ा।
पुनर्वास की मांग करने वाले इन लोगों ने धर्मशाला से दस किलोमीटर दूर चैतड़ू गांव में मांझी खड्ड के नजदीक झुग्गियां बनाई हैं। उच्च न्यायलय के 28 जून, 2016 के आदेश में यह स्पष्ट रूप से लिखा है कि इस समुदाय के लोग अपनी शिकायत लेकर किसी भी अधिकारी के समक्ष जा सकते हैं । धर्मशाला शहर में उन्हें अपने घर से बेघर हुए आज चार साल हो गए हैं। चरान खड्ड बस्ती पुनर्वास समिति के प्रधान राजू ने कहा इन चार साल में हमने हर संबंधित अधिकारी के समक्ष अपनी शिकायतें रखी है और ज्ञापन सौंपे हैं लेकिन आज तक पुनर्वास के मुद्दे पर किसी से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है। दो साल पहले संस्थाओं की मदद से इस समुदाय के 42 सदस्यों को नगर निगम में सफाई कर्मचारी के पद पर नौकरी मिली है। राजू ने बताया कोरोना काल में भी उन्होंने काम किया है । उनकी बस्तियां मांझी खड्ड के पास हैं और ऐसे समय में हमारे लिए बहुत खतरा है, इसलिए उन्हें रहने के लिए कोई स्थायी व्यवस्था बनाई जाए।