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फोरलेन की राह में बजट का पेंच

अश्वनी शर्मा जसूर सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग पर प्रस्तावित फो

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 05:46 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 06:13 AM (IST)
फोरलेन की राह में बजट का पेंच
फोरलेन की राह में बजट का पेंच

अश्वनी शर्मा, जसूर

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सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग पर प्रस्तावित फोरलेन योजना पिछले पांच साल से अस्तित्व में आने की बाट जोह रही है। फोरलेन की राह में बजट का पेंच है। 24 फरवरी, 2019 को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस महत्वपूर्ण योजना का शिलान्यास पत्थर रखा था। योजना के तहत पठानकोट से मंडी तक करीब 208 किलोमीटर लंबे मार्ग को फोरलेन बनाया जाना था। हालांकि मार्ग की जद में आने वाली भूमि को चिह्नित करने सहित अन्य चरणों की प्रक्रिया शुरू हुई थी लेकिन हकीकत यह है कि अभी तक काम ठंडे बस्ते में पड़ा है। पहले चरण में यह कार्य कांगड़ा जिले में कंडवाल से सियुनी भाली तक होना था। इसके लिए भूमि अधिग्रहण सहित अन्य औपचारिकताएं भी हुई पर सिरे कुछ नहीं चढ़ पाया। विभाग की मानें तो शीघ्र काम शुरू होगा पर धरातल में कुछ भी नहीं है। कंडवाल से भाली तक होने वाले इस कार्य के लिए लोगों की नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि उन्हें सही ढंग से मुआवजा नहीं दिया जा रहा है।

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गगल व चंबी में हुआ सिर्फ काम

कांगड़ा जिले में कंडवाल से घट्टा तक यह कार्य तीन चरणों में होना था। पहले फेज में कंडवाल से भाली, दूसरे में भाली से परौर और तीसरे चरण में परौर से चौंतड़ा तक किया जाना प्रस्तावित था। अभी तक केवल गगल और चंबी में ही कुछ काम हो पाया है। इन स्थानों में मार्ग को चौड़ा किया गया है।

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विस्थापितों ने मांगा है चार गुना मुआवजा

कंडवाल क्षेत्र में बनने वाले फोरलेन की जद में अधिकतर वह लोग बसे हैं जो पौंग डैम के कारण विस्थापित हुए थे। इन लोगों ने मार्ग किनारे काम धंधे शुरू किए हैं। इन लोगों ने फैक्टर दो के हिसाब से चार गुना मुआवजे की मांग थी, लेकिन इन्हें यह भी पता नहीं है कि सरकार ने इस विषय में क्या फैसला लिया है। योजना के तहत पहले फेज में करीब 40 किलोमीटर के क्षेत्र में कंडवाल से सियूनी तक 32 गांवों और व्यापारिक कस्बों मेंकरीबन 3800 लोगों की भूमि, रिहायशी मकान व कारोबार परिसर फोरलेन की जद में आने थे। प्रभावित होने वाले लोगों ने फैक्टर दो के हिसाब से चार गुना मुआवजे के लिए संघर्ष का बिगुल बजाया था। 29 अक्टूबर, 2019 को फोरलेन लोकबॉडी नूरपुर के अध्यक्ष राजेश पठानिया की अगुवाई में नूरपुर के चौगान मैदान में 17 दिन का आमरण अनशन भी किया गया था लेकिन इतना अरसा बीतने के बाद भी प्रभावित होने वाले लोग अभी तक असमंजस में हैं।

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फोरलेन संघर्ष समिति ने लंबे अरसे से संबंधित विभाग, प्रदेश व केंद्र सरकार के समक्ष फैक्टर दो के हिसाब से चार गुना मुआवजे के लिए मांग उठाई लेकिन अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है। सरकार शीघ्र निर्माण कार्य शुरू करे।

-विजय सिंह हीर, महासचिव फोरलेन संघर्ष समिति नूरपुर।

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भूमि अधिग्रहण सहित अन्य औपचारिकताओं के अलावा मिलने वाले मुआवजे से लोग अनभिज्ञ हैं। प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम के तहत घोषणा की थी कि फैक्टर दो के हिसाब से चार गुणा मुआवजा दिया जाए। भाजपा ने भी चुनाव के समय विजन डॉक्यूमेंट में इस मांग को शामिल किया था पर नतीजा शून्य है।

-राजू सेन, प्रभावित

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महत्वपूर्ण योजना के लिए लोगों ने सहयोग किया है, प्रभावितों को अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया जा रहा है उनकी मांगों और प्रक्रिया को क्यों लटकाया जा रहा है। सरकार शीघ्र स्थिति सार्वजनिक करे।

-बलदेव पठानिया, प्रभावित

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29 अक्टूबर, 2019 को फोरलेन लोकबॉडी नूरपुर ने 17 दिन आमरण अनशन किया। प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति कार्यालय तक मामला पहुंचा। डीसी के आश्वासन पर अनशन समाप्त हुआ लेकिन हैरानी का विषय यह है कि अभी तक न तो भूमि अधिग्रहण और न ही मुआवजे का कोई अता पता है। सरकार को शीघ्र स्थिति स्पष्ट करे।

-राजेश पठानिया, अध्यक्ष फोरलेन लोकबॉडी नूरपूर ।

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भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पेड़ों के कटान, बिजली खंभों, पेयजल पाइपों और जद में आने वाले परिसरों को हटाने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू होगा।

-सतीश नाग, तकनीकी निदेशक फोरलेन योजना

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अभी तक सरकार की ओर से मुआवजे की राशि तय नहीं हो पाई है। जैसे दिशानिर्देश प्राप्त होंगे, उस हिसाब से अगला कदम उठाया जाएगा।

-डॉ. सुरेंद्र ठाकुर, एसडीएम नूरपुर


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