पिता निर्माता ही नहीं, भाग्य विधाता भी
पिता का अपने बच्चों के जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान भी है। पिता हमेशा अपने बच्चों के मार्गदर्शक भी रहे हैं। परिवार के एक मुखिया के रूप में जहां उनकी अपनी एक भूमिका है तो अपने बच्चों को उच्छे स्थान पर पहुंचाना भी उनके लिए अहम है। पितृ दिवस पर युवाओं ने ही वृद्धों ने भी पितृ दिवस के महत्व पर अपने विचार भी दैनिक जागरण के साथ सांझा किए। कोट्स पिता की भूमिका एक याचक की होती है। पिता एक सच्चा मित्र होने के साथ एक मार्गदर्शक भी हमारे जीवन में है। परिवार का मुखिया होने के साथ-साथ अपनी संतान के लिए भी पिता एक साक्षात भगवान के रूप में भी है। करीब चार वर्ष की आयु थी। तब पिता का देहांत हो गया।
जागरण टीम, धर्मशाला : पिता का बच्चों के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। पिता निर्माता ही नहीं, भाग्य विधाता भी है। वह हमेशा बच्चों के मार्गदर्शक रहते हैं। परिवार के मुखिया के रूप में उनकी भूमिका अहम है। साथ ही बच्चों को अच्छे मुकाम पर पहुंचाने के लिए पिता ही प्रयास करते हैं। लोगों ने पितृ दिवस के महत्व पर विचार दैनिक जागरण के साथ साझा किए।
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पिता की भूमिका एक याचक की होती है। पिता सच्चा मित्र होने के साथ-साथ मार्गदर्शक भी हैं। वह संतान के लिए साक्षात भगवान के रूप हैं। जब मेरी आयु करीब चार साल थी तो पिता का देहांत हो गया था। पिता के संस्कार माता से मिले। बच्चे घर से ही संस्कार सीखते हैं। मुझे यह पता है कि पिता ने 52 वर्ष की जिंदगी में हमेशा लोगों की भलाई की है।
-रजनेश शर्मा, चड़ी
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अब पता चलता है कि जिम्मेदारियों का बोझ कितना भारी है। खुद से ज्यादा अपनों की खुशियां प्यारी हैं, दौड़ाने पड़ते हैं कदम पकड़ने को जिंदगी की रफ्तार, आज गुजर रहा है और कल की तैयारी है। आपकी मजबूरियों का मुझे अब अहसास होता है, दुनिया होती है मतलबी। घर का हर शख्स खास होता है। मां के बाद पिता ही समझता है खामोशी, औलाद को मुश्किलों से बचाने के लिए पिता हिम्मत की दीवार होता है। हर डांट में प्यार जो रहता था, वह याद बहुत अब आता है। हर बीता लम्हा अब तो बस आंखों में आंसू लाता है।
-देवेंद्र कोहली, गगल
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मैं आज जो भी हूं, पिताजी अजय सूद की बदौलत हूं। उन्होंने हमेशा मेहनत कर कमाने की राह दिखाई। आज मैं उनके साथ व्यापार में हाथ बढ़ा रहा हूं। उनके समाजसेवा के दिखाए मार्गदर्शन से ही आज हम एक माह से बैजनाथ कोविड केयर सेंटर के लिए बेकरी प्रॉडक्ट निशुल्क उपलब्ध करवा रहे हैं। यह सब मेरे पिता और पूर्वजों का दिखाया मार्ग है।
-अपूर्व सूद, 78 मील
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पिता का जीवन में विशेष स्थान होता है। पिता की ही बदौलत आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। मेरे पिता बलदेव राज नंदा ने हमेशा सही मार्ग दिखाया है। आज मैं जो कुछ भी हूं, उन्हीं की बदौलत हूं। पिता हमेशा कहते हैं कि मेहनत से आगे बढ़ो और अपने कार्य में लग्न लगाओ तभी सफलता के मुकाम तक पहुंचा जा सकता है।
-विनोद नंदा, बैजनाथ