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अपने बच्चों को दाखिल कर लौटाया स्कूल का नूर

सरकारी कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों के बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ने के आरोप तो आए दिन लगते रहते हैं और कई मायनों में यह आरोप सही भी है। लेकिन शिक्षा खंड नूरपुर के पंदरेहड़ गांव के जनप्रतिनिधियों और यहां से अध्यापकों ने छह सालों से बंद पड़े स्कूल में अपने बच्चे दाखिल कर पुन शुरू कर आरोपों को थोड़ा खारिज करते हुए मिसाल पैदा कर दी है और पिछले छह सालों से बंद पड़ी राजकीय प्राथमिक पाठशाला पंदरेहड़ का नूर वापस लौटा दिया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 10:46 PM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 06:58 AM (IST)
अपने बच्चों को दाखिल कर लौटाया स्कूल का नूर
अपने बच्चों को दाखिल कर लौटाया स्कूल का नूर

प्रदीप शर्मा, नूरपुर

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सरकारी कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों पर बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाने के आरोप आए दिन लगते रहते हैं और कई मायनों में ये सही भी हैं। लेकिन शिक्षा खंड नूरपुर के पंदरेहड़ पंचायत के जनप्रतिनिधियों और यहां के अध्यापकों ने छह साल से बंद पड़े स्कूल में अपने बच्चे दाखिल कर दोबारा विद्यालय को शुरू कर मिसाल कायम की है। साथ ही राजकीय प्राथमिक पाठशाला पंदरेहड़ का नूर भी लौटा दिया है। अब शैक्षणिक सत्र 2019-20 से यह स्कूल 18 बच्चों की एडमिशन के साथ शुरू हो गया है। बड़ी बात यह है कि पंचायत प्रधान की पत्नी ने स्कूल में नि:शुल्क पढ़ाने का भी निर्णय लिया है।

शिक्षा खंड नूरपुर के तहत राजकीय प्राथमिक पाठशाला पंदरेहड़ को वर्ष 2012-13 में बंद कर दिया था, क्योंकि बच्चों की संख्या कम हो गई थी। स्कूल बंद होने से गरीब परिवारों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। इसके बाद पंचायत प्रधान सिकंदर राणा ने सरकार के समक्ष स्कूल को पुन: खोलने की मांग रखी, लेकिन विद्यार्थियों की संख्या का पेंच फंस रहा था। शैक्षणिक सत्र 2018-19 में नूरपुर के विधायक ने स्कूलों को पुन: शुरू करने की अधिसूचना जारी करवाई। अधिसूचना जारी होने के बाद पंचायत प्रधान ने अपनी बेटी को पहली कक्षा में दाखिल करवाया। फिर क्या था, शुरुआत हुई तो पंचायत सदस्य कुलदीप सिंह ने बेटी, यहां से ही शारीरिक शिक्षा अध्यापक राजेश कुमार ने बेटे व टीजीटी कुसुम लता ने भी दो बच्चों का दाखिला उक्त स्कूल में करवाया है। ऐसे में दाखिला बढ़ता गया और संख्या 18 पहुंच गई।

विधायक राकेश पठानिया ने अपनी तरफ से स्कूल में वाटर कूलर लगवाया है। साथ ही बच्चों के बैठने के लिए रोज पब्लिक स्कूल सुल्याली के प्रबंध निदेशक संजय सौगुनी ने डेस्क उपलब्ध करवाए हैं। बच्चों की संख्या को देखते हुए विभाग ने अभी एक शिक्षक स्कूल में तैनात किया है, जबकि पंचायत प्रधान की पत्नी रमिता राणा भी स्कूल में बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान कर रही है। पंचायत प्रधान सिकंदर राणा ने बताया कि मनरेगा के तहत स्कूल की पक्की चारदीवारी लगाई है व टाइलें लगाई हैं। स्कूल के भवन को आकर्षक रंगरोगन कर चमकाया है।


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