अब संयुक्त जमीन में भी कर सकेंगे जड़ी-बूटियों की खेती
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्दति को घर घर तक पहुंचने और आयुर्वेद की विश्वसनीयता को बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक विभाग आने वाले दिनों में कांगड़ा के शक्तिपीठों में विशेष कैंप एवं स्टॉल लगाकर लोगों को आयुर्वेद को लेकर जागरूक करेगा। कैंप में लोगों को अपने खानपान, रहने सहन के प्रति सचेत रहकर स्वस्थ रहने के तरीके बताएगा।
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को घर-घर पहुंचाने के लिए विभाग आने वाले दिनों में जिले के तीनों शक्तिपीठों में विशेष शिविर व स्टाल लगाकर लोगों को आयुर्वेद के प्रति जागरूक करेगा। शिविर में लोगों को खानपान व रहन-सहन के प्रति सचेत रहकर स्वस्थ रहने के तरीके बताए जाएंगे। इसके अलावा जड़ी-बूटियों की खेती को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत जड़ी-बूटी खेती के नियमों में भी बदलाव किया है। इसके तहत किसान अब संयुक्त जमीन पर भी खेतीबाड़ी कर सकते हैं। इससे पहले इस कार्य के लिए केवल निजी भूमि की शर्त थी। जिला आयुर्वेदिक अधिकारी कांगड़ा डॉ. कुलदीप बरवाल से दैनिक जागरण ने बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश :
-आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के प्रचार के लिए क्या किया जा रहा है?
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के प्रचार के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। अब विभाग ने आयुर्वेदिक चिकित्सा के प्रसार केलिए शक्तिपीठों का चयन किया है। शीघ्र श्री ज्वालामुखी और श्री चामुंडा देवी मंदिर में विशेष कैंप व स्टाल लगाए जाएंगे।
-जड़ी-बूटियों की खेती बढ़ाने और संरक्षण के लिए क्या किया जा रहा है?
इससे पहले जड़ी-बूटियों की खेती के लिए किसान के नाम पांच से 15 कनाल के बीच भूमि होना अनिवार्य होती थी लेकिन अब राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत नियमों में संशोधन किया गया है। नए नियमों के अनुसार किसानों के समूह के पास 15 किलोमीटर के अर्धब्यास क्षेत्र में कम से कम दो हेक्टेयर भूमि हो तो भी खेती कर सकते हैं।
-किन जड़ी-बूटियों की खेती में अनुदान मिल सकता है?
सात जड़ी-बूटियों को क्षेत्र के अनुसार निर्धारित किया गया है। समुद्र तल से 700 मीटर से कम ऊंचाई वाले क्षेत्र में तुलसी व अश्वगंधा, 1800 मीटर तक सर्पगंधा, 1800 से 2500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अतीस, कुटकी, कुठ व सुगंधवाला की खेती की जा सकती है। सभी में अलग-अलग अनुदान राशि तय की है।
-धर्मशाला अस्पताल में पंचकर्मा सेंटर मेंरोजाना कितने मरीज आते हैं?
पंचकर्मा सेंटर उम्मीद से अच्छा से चल रहा है। रोजाना आठ से 10 मरीज लाभ उठा रहे हैं। विभाग की ओर से सेंटर के लिए अलग भवन बनाया है। अस्पताल के साथ लगते नए भवन में शीघ्र सेंटर शिफ्ट कर दिया जाएगा।
-दवाएं खाना ज्यादा फायदेमंद है या कुछ और ?
माइग्रेन की समस्या आजकल हर पांचवें को व्यक्ति होती है। अगर माइग्रेन शुरुआती दौर में है तो खानपान में बदलाव लाना बहुत जरूरी है। समय पर खाना खाना, ¨चता कम करना और तले हुए खाने से परहेज करना चाहिए। विशेषज्ञों की सलाह पर सैफेग्रीन दवा में नैजल ड्रॉप के सेवन से भी बहुत फायदा मिलता है।
-आप अपनी ओर से क्या संदेश देना चाहेंगे?
खानपान व रहन-सहन ठीक रखें। सुबह समय पर उठकर व्यायाम करें। इसके अलावा हमेशा पोष्टिक भोजन करें।
-प्रस्तुति :- मुनीष गारिया, धर्मशाला