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चीन का दबाव न हो सहन भारत न दे एक इंच भी भूमि

संवाद सहयोगी पालमपुर भारतीय सरहद पर चीन के हस्तक्षेप से शहीद के स्वजन भी आहत हैं। केंद

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 08:18 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 06:14 AM (IST)
चीन का दबाव न हो सहन
भारत न दे एक इंच भी भूमि
चीन का दबाव न हो सहन भारत न दे एक इंच भी भूमि

संवाद सहयोगी, पालमपुर : भारतीय सरहद पर चीन के हस्तक्षेप से शहीद के स्वजन भी आहत हैं। केंद्र सरकार से उनकी मांग यह भी है कि चीन का दबाव कहीं सहन नहीं होना चाहिए। शहीद कैप्टन विक्रम बतरा के बलिदान दिवस पर दैनिक जागरण से बातचीत में शहीद के पिता गिरधारी लाल बतरा ने कहा कि अब भारत को चीन के दबाव में नहीं आना चाहिए। पूर्व की सरकारों के कारण हमने काफी भूमि खोई है लेकिन अब एक इंच भी नहीं दी जानी चाहिए। बकौल गिरधारी लाल, पूर्व में भी चीन को भारत का नंबर एक दुश्मन माना जाता है। चीन की विस्तारवाद की नीति के कारण अन्य देशों की भूमि पर कब्जे को मुंहतोड़ जवाब दिया जाना चाहिए। चीन की इस हरकत को किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जाएगा। शहीद के पिता ने कहा कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में चीन को डेढ़ किलोमीटर पीछे हटना पड़ा है। अब चीन सीमा पर सड़क निर्माण कार्य चालू हो गया है। उन्होंने कहा कि शहीद कै. विक्रम बतरा की शहादत पर प्रदेश सरकार ने घोषणाओं को पूरा किया है। दिल्ली सरकार ने भी फ्लाइओवर और एक चौराहे का नामकरण कै. विक्रम के नाम कर दिया है। विक्रम बतरा की जीवनी पर बनाई गई कॉमिक को पाठ्यक्रमों में शामिल होने से युवाओं को हमारे योद्धाओं से प्रेरणा मिलेगी।

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स्वजनों ने पूजा-अर्चना के बाद अर्पित किए श्रद्धासुमन

कै. विक्रम बतरा का बलिदान दिवस घर में सादे ढंग से मनाया गया। स्वजनों ने पूजा अर्चना के बाद घर में बनाए शहीद स्मारक में पुष्पांजलि अर्पित की। पालमपुर बाजार के समीप स्थापित प्रतिमा पर भी श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। इस मौके पर शहीद के पिता गिरधारी लाल बतरा व माता कमला बतरा सहित महिला समाजसेवी संस्था इनर व्हील की सदस्य भी मौजूद रही। प्रशासन की ओर से एसडीएम धर्मेश रामोत्रा ने प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए।

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कौन थे शहीद कैप्टन विक्रम बतरा

नौ सितंबर, 1974 को अध्यापक गिरधारी लाल बतरा और माता कमला बतरा के घर जुड़वां बच्चों का नामकरण लव-कुश रखा गया। विक्रम को लव और विशाल को कुश पुकारा जाता था। विक्रम डीएवी कॉलेज चंडीगढ़ से बीएससी के बाद सेना में बतौर अधिकारी भर्ती हुए थे। 24 साल की आयु में 7 जुलाई, 1999 को भारत माता की रक्षा में शहीद हो गए थे। विक्रम बतरा की अगुवाई में सेना ने दुश्मन की नाक के नीचे से प्वाइंट 5140 छीन लिया था। अकेले ही तीन घुसपैठियों को मार गिराने के बाद शहादत का जाम पीया था।

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कार्यक्रम में ये रहे मौजूद

कैप्टन विक्रम बतरा के घर में आयोजित कार्यक्रम में शहीद मेजर सुधीर वालिया के स्वजनों ने भी भाग लिया। इस दौरान शहीद मेजर सुधीर वालिया के स्वजनों, शहीद की बहन आशा, बहनोई परवीन आहलूवालिया, भाभी सिमरन वालिया, ऋषिका व प्रवेश ने पुष्पांजलि अर्पित की।


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