गुलेरी को नहीं भूले सरकार, उम्मीदें बरकरार
प्रसिद्ध साहित्यकार पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी का नाम आने वाली पीढि़यों को भी याद रहे इसके
प्रसिद्ध साहित्यकार पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी का नाम आने वाली पीढि़यों को भी याद रहे, इसके लिए सरकारों ने कुछ कार्य किए हैं, लेकिन अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। गुलेर क्षेत्र में शिक्षा की लौ जगाने वाले पंडित गुलेरी के नाम पर कॉलेज का नामकरण किया है, लेकिन नाम पट्टिका के अलावा अभी तक कुछ नहीं है। कॉलेज परिसर में उनकी प्रतिमा को स्थापित नहीं किया गया है। पंडित गुलेरी की जयंती पर भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से शिमला में हर वर्ष कार्यक्रम आयोजित होता है, लेकिन उनके पैतृक गांव में कोई आयोजन नहीं होता है। इस वर्ष भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान शोधपत्र प्रस्तुति व कवि सम्मेलन होगा। आदिति गुलेरी पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कहानियों में हिमाचल प्रदेश लोक साहित्य की प्रासंगिकता विषय पर शोधपत्र प्रस्तुति करेंगी।
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ये भी होंगे कार्यक्रम
हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी की ओर से साहित्य संवाद परिचर्चा का आयोजन अकादमी सचिव डॉ. कर्म चंद की अध्यक्षता में मंगलवार को होगा। परिचर्चा में डॉ. प्रत्यूष गुलेरी, डॉ. गंगाराम राजी, सुदर्शन वशिष्ठ, डॉ. सुशील कुमार फुल्ल व डॉ. इंद्र सिंह ठाकुर विशेष रूप से भाग लेंगे। यह कार्यक्रम फेसबुक लाइव के माध्यम से होगा।
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कौन थे चंद्रधर शर्मा गुलेरी
सात जुलाई, 1883 में हरिपुर गुलेर गांव के निवासी ज्योतिषविद् पंडित शिवराम शास्त्री व लक्ष्मी देवी के घर में चंद्रधर शर्मा का जन्म हुआ था। गुलेरी ने मात्र 19 वर्ष की आयु में 1902 में मासिक पत्रिका समालोचन का संपादन किया। 1916 में मायो कॉलेज अजमेर में संस्कृत विभाग के अध्यक्ष व 1920 में काशी हिदू विश्वविद्यालय में प्राचीन विद्या विभाग के प्रचारक रहे। 20 वर्ष की आयु में जयपुर की वेधशाला के जीर्णोद्धार व उससे संबंधित शोध कार्य के लिए गठित मंडल में उनका चयन हुआ। कैप्टन गैरेट के साथ मिलकर उन्होंने द जयपुर ऑब्जर्वेटरी एंड इट्स बिल्डर्स अंग्रेजी ग्रंथ रचा। चंद्रधर शर्मा गुलेरी को सबसे ज्यादा प्रसिद्धि 1915 में प्रकाशित कहानी 'उसने कहा था' से मिली। यह कहानी शिल्प एवं विषय वस्तु की दृष्टि से आज भी मील पत्थर मानी जाती है। 12 सितंबर, 1922 को 39 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया था। ................
पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी को अगली पीढ़ी तक पहुंचाना समाज और साहित्य दोनों के लिए जरूरी है। सरकार को गुलेर में गुलेरी के नाम पर पुस्तकालय कम शोध केंद्र खोलना चाहिए। गुलेरी गुलेर सभ्यता के अग्रज रहे हैं। गुलेर सभ्यता ने एक समय विश्व को खुशहाली से जीवन जीना सिखाया है।
-डॉ. सुकृत सागर शिक्षाविद
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गुलेरी एक महान व्यक्तित्व थे और उन्हें किसी परिचय की जरूरत नहीं है। नई पीढ़ी उनके बारे में बहुत कम जानती है। यदि उनके पैतृक गांव में स्मारक या पुस्तकालय खोल दिया जाए तो युवा पीढ़ी उनके बारे में विस्तार से जान पाएगी।
-डॉ. योगेश रैना, हरिपुर
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यदि सरकार पंडित गुलेरी की याद में उनके पैतृक गांव में पुस्तकालय या शोध केंद्र खोलना चाहे तो उसके लिए भूमि उपलब्ध करवा दी जाएगी।
-विकास गुलेरी, चंद्रधर शर्मा गुलेरी के पड़पोत्र।
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गुलेरी साहित्य जगत के जाने-माने लोगों में से एक थे। गर्व है कि हम महान साहित्यकार चंद्रधर शर्मा गुलेरी के गांव में रहते हैं। सरकार को चाहिए कि गुलेरी के नाम से पुस्तकालय या उनका स्मारक गुलेर में बनाया जाए ।
-वरुण धीमान, उपप्रधान पंचायत गुलेर