जसूर में हुई प्रवचनों की अमृतवर्षा
इंद्रियों को वश में कर संपूर्ण समर्पण भाव से किए गए व्रत से हरी का दर्शन हो सकता है। श्री दुर्गा माता मंदिर जसूर में चल रही श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन कथा वाचक भागवताचार्य आचार्य सतीश शास्त्री ने कहा कि कलिकाल में केवल और केवल परमात्मा का भजन ही जीव के समग्र दुखों का नाश करने में सक्षम है लेकिन उसके लिए इस मन की चित वृत्त्यों पर अंकुश लगाने से ही यह सब संभव हो सकता है ।
संवाद सूत्र, जसूर : इंद्रियों को वश में कर संपूर्ण समर्पण भाव से किए गए व्रत से हरी का दर्शन हो सकता है। श्री दुर्गा माता मंदिर जसूर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथावाचक भागवताचार्य आचार्य सतीश शास्त्री ने कहा कि कलिकाल में केवल और केवल परमात्मा का भजन ही जीव के समग्र दुखों का नाश करने में सक्षम है। लेकिन उसके लिए इस मन की चित वृत्तयों पर अंकुश लगाने से ही यह सब संभव हो सकता है। जब भी धरा, धेनू और संतों पर अधर्मियों ने संकट पैदा किया तो प्रभु ने न केवल नर देह धारण कर पापियों का संहार किया। इस अवसर पर पूर्व विधायक अजय महाजन, महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष मालविका पठानिया, मंदिर ट्रस्ट चेयरमैन गो¨वद ¨सह पठानिया, मंदिर महंत पंडित हंसराज शर्मा, अर¨वद शास्त्री, बिट्टा बंसल, कल्लू शर्मा, अशोक शर्मा, अधिवक्ता सुभाष पूरी, ईशर ¨सह, राजेंद्र चौहान मौजूद रहे।
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हर समय में करें प्रभु के नाम का सिमरन
संवाद सहयोगी, देहरा : रक्कड़ के चौली में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन प्रवचनों की अमृतवर्षा हुई। कथावाचक अतुल कृष्ण ने कहा कि हम अनेक जन्मों तक न जाने कितने शरीरों में भटकते हुए मानव देह के अधिकारी बने हैं। पूर्व के सभी जन्मों का यदि हमें परिचय मिल जाए तो मन पश्चाताप से भर जाएगा। यह भी अवश्य हुआ होगा कि कभी हम गधे एवं सूअर के शरीर में रहे होंगे जिसका स्मरण मात्र ही मन में सिहरन ला देता है। मनुष्य जन्म को भगवान का परम अनुग्रह मानकर भजन अवश्य करना चाहिए। परमात्मा ने मानव जीवन देकर हर बंधन से मुक्ति का साधन सुलभ करा दिया है। जीवन के तीनों तप बिना हरि स्मरण के नहीं मिट सकते हैं। मनुष्य को हर समय प्रभु के नाम का सिमरन करना चाहिए। इस अवसर पर मान¨सह, सुभाष, कुलभूषण, राजेंद्र, प्रकाश, निखिल, देशबंधु, मुकेश, संजय, ईशान, धर्म ¨सह, अश्वनी, अजय, भूपेंद्र, शिवकुमार मौजूद रहे।