एएसपी का बनाया फर्जी फेसबुक अकाउंट
जागरण संवाददाता धर्मशाला साइबर ठगी को अंजाम देने वालों ने नया तरीका शुरू किया है। अब
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : साइबर ठगी को अंजाम देने वालों ने नया तरीका शुरू किया है। अब शातिरों ने लोगों के खातों से रुपये उड़ाने की बजाए अधिकारियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। फेसबुक के माध्यम से शातिर अफसरों की फर्जी आइडी बनाकर लोगों से रुपये मांग रहे हैं। शातिरों ने जिला कांगड़ा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) राजेश कुमार का फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाया है। फर्जी अकाउंट बनाने वाले ठग लोगों से उधार रुपये मांग रहे हैं।
इस संबंध में पुलिस प्रशासन को पता चला और जांच में रहस्योद्घाटन हुआ कि शातिर ने एएसपी की फर्जी आइडी से हमीरपुर जिले के किसी अधिकारी को मैसेज भेजकर हालचाल और पोस्टिंग के बारे में पूछा। इसके बाद कहा कि तत्काल कुछ रुपयों की जरूरत है। मैसेज किया कि अभी रुपये दे दो और शाम को लौटा दूंगा। शातिर ने इस तरह के मैसेज किसी एक व्यक्ति को नहीं बल्कि कई अधिकारियों को किए हैं। बड़ी बात यह है कि शातिर ने फेक आइडी पर एएसपी और उनकी पत्नी के फोटो प्रोफाइल पिक्चर में लगाई है। इसके बाद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कांगड़ा राजेश कुमार ने फेसबुक पर पोस्ट डालकर लिखा कि किसी ने उनके नाम का फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाया है, इसलिए कोई भी फर्जी फेसबुक अकाउंट की रिक्वेक्ट को स्वीकार न करे।
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ऐसे होती है फेसबुक पर साइबर ठगी
साइबर ठगों की नजर मंत्रियों, विधायकों, अफसरों, व्यवसायियों व नामचीन हस्तियों के फेसबुक अकाउंट पर रहती है। उनके अकाउंट का ठीक से अध्ययन करने के बाद शातिर संबंधित व्यक्ति के मित्रों की सूची में शामिल लोगों को मैसेज भेजकर तबीयत खराब होने, अस्पताल में भर्ती होने और अति आवश्यक कार्य में व्यस्तता समेत तमाम विषम परिस्थितियों का हवाला देकर रुपयों की मांग करते हैं। शाम तक या कल सुबह तक रुपये वापस करने का भरोसा भी देते हैं। इसी बहाने अगर कोई झांसे में आ गया तो उससे रुपये ठगकर अपराधी संबंधित फर्जी आइडी को क्लोज कर देते हैं।
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ऐसे बच सकते हैं ठगी से
-करीबी दोस्तों के नाम अगर हमें कोई फ्रेंड रिक्वेस्ट आती है तो हम सिर्फ नाम व फोटो देखकर रिक्वेस्ट स्वीकार कर लेते हैं। कोई भी रिक्वेस्ट आने पर उसका पूरा प्रोफाइल चेक कर लें और उसके बाद ही रिक्वेस्ट स्वीकार करें।
-जब भी किसी फेसबुक आइडी से मदद के नाम पर रुपये मांगे जाएं तो पहले उस व्यक्ति के मोबाइल या किसी संपर्क नंबर पर कॉल कर लें। हकीकत का पता चल जाएगा।
-अगर अपराधी कहता है कि मेरे मोबाइल नंबर पर फोन करने के लिए पैसे नहीं हैं तो आजकल वीडियो और ऑडियो कॉलिग की सुविधा होती है। उसका उपयोग जरूर कर लें।
-क्लोन एवं नकली आइडी साइबर अपराधी तब ही नहीं बना पाएगा, जब आपके आइडी की प्राइवेसी सेटिग मजबूत न हो। अपना आइडी ओनली-मी या ओनली फ्रेंड में रखेंगे तो साइबर अपराधी आपकी आइडी में प्रवेश नहीं कर पाएंगे।