क्यों घट रहा चाय उत्पादन, कारण जानेंगे कृषि मंत्री
जागरण संवाददाता, पालमपुर : कांगड़ा जिले में घटते चाय उत्पादन के कारणों को कृषि मंत्री र
जागरण संवाददाता, पालमपुर : कांगड़ा जिले में घटते चाय उत्पादन के कारणों को कृषि मंत्री रामलाल मार्कंडेय स्वयं जानेंगे। इसके लिए वह 24 अप्रैल को चाय उत्पादकों के साथ बैठक करेंगे। इस बैठक में चाय उत्पादकों के सुझावों के आधार पर आगामी योजना तैयार की जाएगी। कृषि मंत्री चाय उत्पादकों की समस्याएं भी सुनेंगे।
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एक हजार हेक्टेयर क्षेत्र तक सिमटा चाय उत्पादन
किसी समय प्रदेश में 2300 हेक्टेयर क्षेत्र में चाय का उत्पादन होता था, जो अब केवल 1000 हेक्टेयर तक सिमट कर रह गया है। इसके उत्पादन में दिन व दिन कमी आ रही है। चाय की खेती कांगड़ा, मंडी व चंबा में की जाती है। जिला कांगड़ा में सबसे अधिक उत्पादन होता है। कांगड़ा में भी पालमपुर ही इसका मुख्य केंद्र है। परंतु यहां सालाना केवल 1000 हेक्टेयर में ही चाय उत्पादन हो रहा है। अप्रैल महीने में हर वर्ष चाय का उत्पादन अन्य महीनों से अधिक रहता है, लेकिन इस बार अप्रैल में भी कम उत्पादन हुआ है। इसका कारण सर्दियों में लंबा सूखा रहा है।
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चाय के तहत क्षेत्र
जिला, क्षेत्र
कांगड़ा,2100 हेक्टेयर
मंडी,200 हेक्टेयर
भटियात (चंबा),6 हेक्टेयर
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किस वर्ष में कितना उत्पादन
वर्ष,चाय उत्पादन किलोग्राम में
2013,870000
2014,842000
2015,891000
2016,867000
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वर्ष 2010 से पहले 10 लाख किलो से अधिक था उत्पादन
वर्ष 2010 से पहले चाय का उत्पादन 10 लाख किलोग्राम से ऊपर रहता था। अकेले पालमपुर से ही सालाना तीन लाख किग्रा चाय पैदा होती है, जबकि शेष क्षेत्रों में इसमें भारी कमी दर्ज हुई है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार लगातार कम चाय उत्पादन के कारण निवेशकों का रुझान उत्तराखंड की ओर बढ़ा है।
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विदेशों तक मांग
कांगड़ा चाय की सबसे अधिक मांग कोलकाता व विदेशों में रहती है। पहले इसका एक कलेक्शन सेंटर अमृतसर में होता था, लेकिन उसके बंद हो जाने से कारोबार को बड़ा झटका लगा है। इससे कई व्यापारियों को घाटा भी उठाना पड़ा है।
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कृषि मंत्री कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में एक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद 24 अप्रैल को चाय उत्पादकों से बैठक करेंगे। यह बैठक चाय भवन पालमपुर में होगी।
डॉ. अरुण ब्यास, जिला कृषि अधिकारी।