सरदार अजीत सिंह को किया नमन
देशभक्त सरदार अजीत सिंह की 140वीं जयंती डलहौजी के पंजपुला में स्थित उनके समाधि स्थल में मनाई गई। इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में ग्राम पंचायत बलेरा के उपप्रधान मनजीत कुमार ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। मुख्यातिथि सहित देशभक्त सरदार अजीत सिंह यादगार सभा के सदस्यों ने सरदार अजीत सिंह की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर अपने संबोधन में मुख्यातिथि ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को ऐसे देशभक्तों से प्रेरणा लेकर भारत के नवनिर्माण में सहयोग देना चाहिए। इस मौके पर सभा प्रधान इंद्रवीर सिंह महासचिव वीरेंद्र ठाकुर सहित राजेंद्र कुमार
संवाद सहयोगी, डलहौजी : देशभक्त सरदार अजीत सिंह की 140वीं जयंती डलहौजी के पंजपुला स्थित उनके समाधि स्थल में मनाई गई। आयोजित कार्यक्रम में ग्राम पंचायत बलेरा के उपप्रधान मनजीत कुमार ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। मुख्यातिथि सहित देशभक्त सरदार अजीत सिंह यादगार सभा के सदस्यों ने उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
मुख्यातिथि ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को ऐसे देशभक्तों से प्रेरणा लेकर भारत के नवनिर्माण में सहयोग देना चाहिए। इस मौके पर सभा प्रधान इंद्रवीर सिंह, महासचिव वीरेंद्र ठाकुर, राजेंद्र कुमार, सतीश कुमार, सूरज शर्मा, श्याम लाल, अमित कुमार, राकेश कुमार, बुद्धि प्रकाश, बलबीर सिंह, राहुल शर्मा तथा पर्यटक भी उपस्थित थे। सभा के महासचिव वीरेंद्र ठाकुर ने बताया कि आजादी की लड़ाई के दौरान 'पगड़ी संभाल जट्टा' का नारा देकर देशभक्त सरदार अजीत सिंह ने देशवासियों के स्वाभिमान को जगाया। वहीं, देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करवाने में अजीत सिंह व उनके परिवार ने अमूल्य योगदान दिया। इसके चलते अजीत सिंह व उनके परिवार को भारतवासी हमेशा याद रखेंगे। इस अवसर पर देशभक्ति के गीत भी गाए गए।
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सरदार अजीत सिंह का रहा है डलहौजी से गहरा नाता
शहीद-ए-आजम भगत सिंह के चाचा देशभक्त सरदार अजीत सिंह का डलहौजी से गहरा नाता रहा है। वर्ष 1947 में अजीत सिंह डलहौजी में गांधी चौक के समीप स्थित बसंत कोठी में रहते थे। 14 अगस्त को जब उन्होंने डलहौजीवासियों के साथ रेडियो व भारत के आजाद होने का समाचार सुना तो अन्य लोगों के साथ खुशी से झूम उठे थे, परंतु साथ ही देश के विभाजन की खबर सुनने के बाद उन्हें बहुत दुख हुआ और वह चुपचाप वसंत कोठी में चले गए। 15 अगस्त की सुबह जब वह कमरे से बाहर नहीं निकले तो लोगों ने कमरा खोला। देखा कि अजीत सिंह मृत पड़े थे। 15 अगस्त को डलहौजी के पंजपुला में ही उनका अंतिम संस्कार किया गया था। अजीत सिंह के अंतिम संस्कार में मानो पूरा पंजाब उमड़ आया था। पंजपुला से डलहौजी के बस स्टैंड तक करीब पांच किलोमीटर तक हजारों लोगों की भीड़ जुट गई थी।