वर्षों बाद चंबा में दिखे दुर्लभ प्रजाति के लंगूर Chamba News
Rare Species of Monkey Seen in Chamba चंबा में लंबे समय बाद विलुप्त हो रही प्रजाति का सेक्रेड लंगूर देखा गया है।
चंबा, सुरेश ठाकुर। चंबा में लंबे समय बाद विलुप्त हो रही प्रजाति का सेक्रेड लंगूर देखा गया है। इन लंगूरों पर शोध कर रही वाइल्ड लाइफ इन्फॉर्मेशन लाइजन डेवलपमेंट नामक संस्था ने इसी सप्ताह खजियार वैली में सेक्रेड लंगूर देखे हैं। उक्त संस्था वर्ष 2012 से इस प्रजाति पर शोध करने के लिए हिमालयन लंगूर नामक प्रोजेक्ट पर कार्य कर रही है। वन्य प्राणी विभाग के डीएफओ निशांत मंढोत्रा ने भी इसकी पुष्टि की है। चंबा वैली क्षेत्र में मिली इस प्रजाति को चंबा सेक्रेड लंगूर (चंबा पवित्र लंगूर) के नाम से जाना जाता है। यह प्रजाति लंगूर की सात प्रजातियों में सबसे भिन्न है। इससे पहले वर्ष 1928 में चंबा जिले में इस लंगूर की मौजूदगी का पता चला था। तब ब्रिटिश ऑर्कियोलॉजिस्ट और प्रकृतिवादी रेजिनाल्ड पारी पोकॉक ने चंबा के चुराह क्षेत्र की यात्रा के दौरान जसौरगढ़ के दियोला में इसे देखा था। वर्ष 1928 से 2012 तक इससे संबंधित कोई जानकारी हासिल नहीं हो पाई है।
वर्ष 2012 में वाइल्ड लाइफ इन्फॉर्मेशन लाइजन डेवलपमेंट संस्था ने इस प्रजाति पर शोध कार्य के लिए हिमालयन लंगूर नाम से प्रोजेक्ट आरंभ शुरू किया। शोध कार्य के दौरान संस्था के सदस्यों ने चंबा जिले में कैंप लगाकर 244 स्थानों पर इस लंगूर की तलाश की थी और 124 स्थानों में ये लंगूर पाए गए। 70 स्थानों पर इन्होंने खेतों में फसल को नुकसान पहुंचाया था। विशाल आहुजा ने बताया कि चंबा जिले के 500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में ये लंगूर पाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि इसी सप्ताह संस्था के सदस्यों ने चंबा सेक्रेड लंगूर शोध से यह भी पता चला है कि लंगूर की जो प्रजाति चंबा घाटी में पाई गई है, वह विश्व में अन्य किसी भी वन्य प्राणी क्षेत्र में नहीं है। सेक्रेड लंगूर फल, बीज, फूल, जड़ें, छाल और कलियां खाते हैं।
चंबा ग्रे लंगूर के नाम से विख्यात करने का प्रयास
विशाल आहुजा ने कहा कि वह इस प्रजाति को चंबा ग्रे लंगूर के नाम से विश्व में प्रसिद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं। चंबा सेक्रेड लंगूर की प्रजाति चंबा जिले के जसौरगढ़, दियोला, कुगति, कालाटोप, खजियार, भांदल सहित अन्य क्षेत्रों में पाई गई है।
चंबा घाटी में लुप्त प्रजाति के लंगूर इसी सप्ताह पाए गए हैं। लंगूर की गउला प्रजाति विश्व में केवल चंबा में ही पाई जाती है। इसलिए इस प्रजाति के संरक्षण के लिए विभाग प्रभावी कदम उठाने जा रहा है। वाइल्ड लाइफ इन्फॉर्मेशन लाइजन डेवलपमेंट संस्था के साथ मिलकर विभाग इनकी शीघ्र गणना भी करवाएगा। -निशांत मंढोत्रा, डीएफओ वन्य प्राणी विभाग।
खाने व व्यवहार पर होगा शोध
चंबा सेक्रेड लंगूर पर शोध कर रही संस्था अब इनके रहन-सहन व इनका इंसान के साथ कैसा व्यवहार है, इस पर शोध करने में जुट गई है। संस्था ने शोध के लिए खजियार क्षेत्र को चुना है। लिहाजा उक्त में शोध के बाद ही विभाग व संस्था अगामी रणनीति तैयार करेंगे।
विभाग ने संरक्षण के लिए लगाए बोर्ड
चंबा में सेक्रेड लंगूर पर सात साल के शोध के बाद वन्य प्राणी विभाग भी इनके संरक्षण के लिए सक्रिय हो गया है। विभाग ने जगह-जगह सूचना वोर्ड चस्पां कर इनके संरक्षण के लिए लोगों से अपील करना आरंभ कर दिया है।