भुलाया नहीं जा सकता नेताजी का संघर्ष
संवाद सहयोगी समोट गरनोटा में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में म
संवाद सहयोगी, समोट : गरनोटा में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया गया। इस दौरान नोडल क्लब आजाद युवक मंडल सनेड़ के सदस्यों ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें ग्राम पंचायत गरनोटा के उपप्रधान अरुण कुमार शर्मा ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की। इस दौरान लोगों ने भारत सरकार का आभार प्रकट करते हुए कहा कि नेताजी की जयंती को अब प्रतिवर्ष पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाएगा, जो कि ऐतिहासिक व सराहनीय निर्णय है। साथ ही अब गणतंत्र दिवस समारोह का आरंभ 24 जनवरी के बजाय 23 जनवरी से नेताजी की जयंती पर शुरू होगा।
उपप्रधान अरुण कुमार शर्मा सहित अन्य लोगों ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की ओर से आजादी के लिए किए गए संघर्ष और योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। उनके बारे में देश के सभी लोगों को अच्छी तरह से जानकारी होना जरूरी है। इसके अलावा यहां कैच द रेन कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया, जिसमें लोगों को वर्षा जल संग्रहण के बारे में जानकारी दी गई।
भटियात ब्लाक के युवा स्वयंसेवी राज कुमार ने कहा कि बारिश के जल का यदि संग्रहण नहीं किया जाता है तो वह व्यर्थ बह जाता है, जिसका कोई भी लाभ लोगों को नहीं मिलता है। यदि इस जल का संरक्षण किया जाए तो जल सिंचाई सहित अन्य कार्यो में इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने लोगों से वर्षा जल संग्रहण करने की अपील की। उन्होंने कहा कि वर्षा जल का संग्रहण करने के लिए हम टैंक बना सकते हैं। इसके अलावा भी कई तरीकों से इसका संग्रहण किया जा सकता है। वहीं, एसएमसी प्रधान बबिता शर्मा, उपप्रधान अरुण शर्मा, प्रमुख कारोबारी अखिल महाजन, हवलदार लबली सिंह और युवा स्वयंसेवी राज कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से सिखों के 10वें गुरु गोबिद सिंह के चार छोटे साहिबजादों द्वारा मानवता की रक्षा के लिए की गई कुर्बानी को याद रखने के लिए 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाने का जो निर्णय लिया है। उसके लिए भी लोग उनका आभार व्यक्त करते हैं। इस अवसर पर काफी संख्या में लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। नेताजी सुभाष चंद्र बोस को किया नमन
संवाद सहयोगी, तेलका : नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम सुनते ही प्रत्येक भारतीय के भीतर देशभक्ति का जज्बा पैदा हो जाता है। उनकी ओर से दिए गए बलिदान को भारत का प्रत्येक नागरिक नमन करता है तथा उन्हें अपना प्रेरणा स्त्रोत मानता है। यह बात एबीवीपी जिला संयोजक एवं एमए राजनीतिक शास्त्र विभाग के छात्र अभिलाष शर्मा ने कही। उन्होंने कहा कि सुभाष चंद्र बोस स्वामी विवेकानंद की शिक्षा से अत्यधिक प्रभावित थे और उन्हें अपना अध्यात्मिक गुरु मानते थे, जबकि चित्तरंजन दास उनके राजनीतिक गुरु थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का मानना था कि भारत से अंग्रेजी हुकूमत को खत्म करने के लिए सशस्त्र विद्रोह ही एक मात्र रास्ता हो सकता है। अपनी इसी विचारधारा पर वह जीवन-पथ पर चलते रहे और उन्होंने एक ऐसी फौज खड़ी की, जो दुनिया में किसी भी सेना को टक्कर देने की हिम्मत रखती थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए उन्होंने जापान के सहयोग से आजाद हिंद फौज का गठन किया था।