World Family Day 2019: बानो का मकान पांच पीढ़ियों का घर, एक साथ रहते हैं 27 सदस्य
World Family Day 2019 चंबा जिला के चुराह का भरा पूरा संयुक्त परिवार इस परिवार का स्तंभ 92 वर्षीय बानो बेगम। ये परिवार 20 कमरों के मकान में रहता है।
चंबा, मिथुन ठाकुर। मकान तो इन दिनों एक से बढ़ कर एक हैं... सुंदर भी, सुहावने भी। लेकिन इनमें से घर कितने हैं, यह शोध का विषय हो सकता है। कुछ घरों में बच्चों की किलकारियां होती हैं तो बुजुर्गों की खांसने वाली आवाज नहीं होती। कहीं दादी की कहानियां नहीं होती तो कुछ घरों के टीवी सिर्फ कार्टून नेटवर्क की आवाज करते हैं। एकल परिवार या न्यूक्लियर फैमिली की सोच वस्तुत: संयुक्त परिवारों के लिए आघात से कम नहीं है। लेकिन एक भरा पूरा परिवार चंबा जिला के चुराह क्षेत्र में भी है।
ग्राम पंचायत तीसा-2 के रलहेरा गांव के इस परिवार की खास बात यह है कि इसमें पांच पीढ़ियां एक साथ एक ही छत के नीचे रह रही हैं। 27 सदस्यों वाले इस संयुक्त परिवार का स्तंभ 92 वर्षीय बानो बेगम हैं। घर का सबसे छोटा सदस्य उनकी चार साल की परपोती है। परिवार के सदस्य 20 कमरों वाले मकान में रहते
हैं। इनके पास करीब 30 बीघा जमीन है, जिनमें से एक सेब का बगीचा भी है। जबकि, इनकी संपत्ति में छोटी-बड़ी छह गाड़ियां भी शामिल हैं। बानो बेगम के मुताबिक परिवार ने कभी अलग होने के बारे में नहीं सोचा। क्योंकि, सभी संयुक्त परिवार में विश्वास रखते हैं। घर के सभी सदस्यों को जिम्मेदारियां सौंपी
गई हैं, जिन्हें वे ठीक से निभाते हैं।
बानो बेगम इस परिवार को टूटता नहीं देख सकती, लेकिन वह एक साथ कैसे रखे हुए है? क्या कभी अहं नहीं टकराते? क्या कभी ऐसी नौबत नहीं आती कि सब अपनी-अपनी राह देख लें? इस पर उनका कहना है कि जब दायित्व बंटे हों, आपस में प्यार हो, सब की बात सुनी जाए और न्याय की बात की जाए तो अहं के लिए कोई स्थान नहीं रहता। यही बात घर को जोड़े हुए है।
सरकारी सेवा के साथ निजी व्यवसाय भी कर रहे परिवार के सदस्य
परिवार की सबसे बुजुर्ग महिला बानो बेगम गृहिणी हैं। उनके एक पुत्र अब्दुल मजीद सेवानिवृत्त पंचायत निरीक्षक हैं। एक बहू सिलाई अध्यापिका तथा अन्य पांच बहुएं गृहिणियां हैं। अब्दुल मजीद के छह बेटे हैं, जिनमें से दो सरकारी ठेकेदार, दो सरकारी कर्मचारी तथा दो दुकानदार हैं।
नोकझोंक होने पर बुजुर्ग करते हैं विवाद का निपटारा
जहां बर्तन होंगे, टकराएंगे भी.... हर परिवार में नोकझोंक चलती है। यहां कभी कभार कुछ नोकझोंक या छोटा-मोटा झगड़ा होने पर परिवार के बुजुर्ग सदस्य निपटारा करते हैं। बड़ी बहू संभालती है खानपान का जिम्मा परिवार की बड़ी बहू खानपान का जिम्मा संभालती हैं, जबकि छोटी बहुएं खाना बनाने से लेकर खिलाने तक उनकी मदद करती हैं। सुबह से शाम तक बनने वाले भोजन का मेन्यू तैयार किया जाता है। उसी के मुताबिक खाना बनाया जाता है। इसी तरह घर में साफ-सफाई से लेकर अन्य छोटे-बड़े कार्य भी बहुएं ही संभालती हैं।
एक साथ खाना खाता है पूरा परिवार
परिवार का शुरू से ही यह नियम रहा है कि घर के सभी सदस्य एक साथ ही खाना खाएंगे। खाना तैयार होने के बाद एक कमरे में चटाई बिछाई जाती है। सबसे पहले छोटे बच्चों को खाना परोसा जाता है। बच्चों के खाना खाने के उपरांत घर की बुजुर्ग महिलाओं सहित अन्य खाना खाते हैं। परिवार का मानना है कि एक साथ खाना खाने से जहां बरकत बढ़ती है। वहीं, परिवार में प्यार भी बढ़ता है।
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