रंग लाई मेहनत, फौजी ने बंजर जमीन पर उगा दिया किवी
kiwi on barren land. चंबा में रहने वाले सेवानिवृत्त चैन लाल बंजर भूमि को उपजाऊ बना कीवी की खेती कर लाखों रुपये कमा रहे हैं।
चंबा, सुरेश ठाकुर। मन में कुछ करने का जज्बा हो तो बंजर जमीन से भी सोना पैदा किया जा सकता है। जिला चंबा के जुम्महार क्षेत्र की बाट पंचायत के संडू गांव के चैन लाल भी मेहनत के बलबूते बंजर जमीन पर किवी की खेती कर लाखों रुपये कमा रहे हैं। चैन लाल पहले बंदूक उठाकर सरहद पर देश की रक्षा जी-जान से करते रहे, अब सेवानिवृत्ति के बाद 68 वर्ष की उम्र में खेती करके दूसरों को प्रेरित कर रहे हैं। संडू समेत आसपास के गांवों के लोग खेती छोड़ चुके हैं। लेकिन चैन लाल ने यहां की जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए प्रयास जारी रखे।
शुरुआत में कुछेक किवी के पौधे अपनी जमीन पर लगाए। प्रयोग जब सफल रहा तो विटामिन, मिनरल्स, पोटेशियम, कैल्सियम, आयरन और मैग्नीशियम जैसे खनिज तत्वों और कई एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर किवी फल की पौधशाला का दायरा बढ़ा दिया गया। अब चैन लाल के किवी के करीब एक हजार पेड़ हैं। इनसे हर साल साढ़े नौ लाख रुपये की कमाई हो रही है।
चैन लाल के किवी फल की खेती के सफल उपयोग के बाद संडू गांव के अन्य लोगों ने भी इसकी पैदावार शुरू कर दी है। उनके ऐसा करने से उनकी भी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। जिले में किवी की खेती की मजबूत नींव डालने वाले चैन लाल अब किवी मैन के तौर मशहूर हैं। इनसे मिलने कई विश्वविद्यालयों के स्कॉलर भी यहां पहुंचते हैं।
बागवानी विभाग द्वारा अभी हाल ही में किवी उत्पादक चैन सिंह को पैकिंग एंड हाउस दिया है। इससे वह फलों की ग्रेेंडिंग कर पैंकिंग कर सकेंगे। इस हाउस पर उक्त बागवान ने चार लाख खर्च किया है। विभाग ने उसे दो लाख की सबसिडी दी है। उन्हें तकनीकी सलाह के साथ प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
-केएल शर्मा, उपनिदेशक बागवानी विभाग चंबा।
ग्राम पंचायत बाट के संडू में सेवानिवृत्त फौजी चैन लाल द्वारा उगाए किवी को वह स्वयं देख चुके हैं। बागवानी विभाग को बेहतरीन तरीके से किवी उगाने व उन्हें प्रशिक्षण के साथ अन्य सहायता देने के निर्देश दिए हैं।
हरिकेश मीणा, उपायुक्त चंबा
वर्ष 1992 में एक समाचार पत्र में किवी के बारे में पढ़ने पर इसकी खेती करने का फैसला लिया। शुरुआत में इसे लगाने से लेकर बेचने में काफी दिक्कत आई, लेकिन अब कोई दिक्कत नहीं है। इस काम में पत्नी व चार बेटों सहित 11 पौते-पौतियां खेती करने में मदद करते हैं। इस वर्ष हालांकि फसल कम हुई है। इससे आमदनी मात्र साढ़े पांच लाख ही हो पाई है। हर वर्ष आठ से दस लाख तक किवी की खेती से कमा लेते हैं।
अभी मैं मात्र 250 क्विंटल ही उत्पादन कर पाया हूं। मेरा लक्ष्य 500 क्विंटल का है। किवी की खेती में बागवानी विभाग का काफी सहयोग मिला। उसके चार बगीचे हैं, जिनमें 950 किवी के पौधे लगाए हैं।
-चैन सिंह, उत्पादक किवी निवासी ग्राम पंचायत बाट
यह हैं किवी खाने के फायदे
- एंटी ऑक्सीडेंट्स से भरपूर।
- कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित रखता है।
- घाव को भरने और सूजन कम करने में मददगार।
- किवी के नियमित सेवन से कब्ज की समस्या से निजात मिलती है।
- किवी सेल्स की कमी को भी काफी जल्दी पूरा करता है।