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बिजली बोर्ड कर्मियों ने काले बिल्ले लगा किया कार्य

के लिए व्यापक अभियान चलाया जाएगा। नया विधेयक लागू होने से किसानों और गरीबों को बिजली दरों पर मिल रही सब्सिडी समाप्त हो जाएगी। किसी भी उपभोक्ता को लागत से कम मूल्य पर बिजली नहीं दी जाएगी। वर्तमान में बिजली की लागत 6.7

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 07:00 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 07:00 PM (IST)
बिजली बोर्ड कर्मियों ने काले बिल्ले लगा किया कार्य
बिजली बोर्ड कर्मियों ने काले बिल्ले लगा किया कार्य

जागरण टीम, चंबा/डलहौजी : बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन चंबा ने बिजली संशोधन विधेयक 2020 और निजीकरण का विरोध करते हुए काले बिल्ले लगाकर कार्य किया। सरकार से संशोधन को हटाने की मांग की। शारीरिक दूरी का पालन करते हुए यूनियन ने शांति प्रदर्शन भी किया।

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इस मौके पर प्रधान दरवारी लाल ने कहा कि बिजली (संशोधन) विधेयक 2020 और निजीकरण से खासकर किसानों और 300 यूनिट तक बिजली का उपयोग करने वाले गरीब उपभोक्ताओं को बिल के प्रतिगामी परिणामों से अवगत कराने के लिए व्यापक अभियान चलाया जाएगा। नया विधेयक लागू होने से किसानों और गरीबों को बिजली दरों पर मिल रही सबसिडी समाप्त हो जाएगी। किसी भी उपभोक्ता को लागत से कम मूल्य पर बिजली नहीं दी जाएगी। वर्तमान में बिजली की लागत 6.78 रुपये प्रति यूनिट है, जबकि निजीकरण एक्ट के बाद यह आठ रुपये से कम नहीं रहेगी। ऐसे में किसानों को प्रतिमाह 6000 रुपये और घरेलू उपभोक्ताओं को 8000 रुपये प्रतिमाह बिल देना होगा। इस मौके पर राज्य मुख्य सलाहकार अनिल कुमार, राज्य संयुक्त सचिव मुकेश कुमार, सचिव सुरेंद्र शर्मा, प्रताप चंद, अरुण कुमार, किशोर कुमार, महिला विग प्रधान मंजु शर्मा, जेई एसोसिएशन सचिव अजय भारद्वाज मौजूद रहे।

वहीं, विद्युत उपमंडल डलहौजी के बिजली बोर्ड कर्मचारियों ने भी काले बिल्ले लगाकर बिजली संशोधन बिल का विरोध किया। संघ सदस्यों ने कहा कि अधिकतर राज्य सरकारों, बिजली कर्मचारियों व अभियंताओं के विरोध के चलते केंद्र सरकार बिजली कानून 2003 में संशोधनों को अब तक लागू नहीं कर पाई है, परंतु कोरोना के शारीरिक दूरी के नियम का लाभ उठाते हुए इस पारित करने की जल्दी में है जिससे कि बिजली कंपनियों के निजीकरण का रास्ता साफ होगा। इस संशोधन के कानून बनने से जहां बिजली बोर्ड कंपनी के वितरण कार्यो में छोटी-छोटी कंपनियों व फ्रैंचाइजी के आने से इसके निजीकरण का रास्ता प्रशस्त हो जाएगा, वहीं बिजली मापने हेतु जगह-जगह इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों व बिजली के फीडरों के अलग-अलग करने से बिजली उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। डीबीटी प्रक्रिया के चलते विद्युत उपभोक्ताओं को निर्धारित दरों पर ही बिलों का भुगतान करना होगा, जबकि उनकी सबसिडी की राशि बाद में बैंक खातों में आएगी। बोर्ड के लगभग 25 हजार से अधिक पेंशनरों की पेंशन अदायगी पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा हो जाएगा।


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