पांगी में मनाया दखरेन मेला, महिलाओं ने डाली नाटी
सावन (श्रावण) मास की संक्रांति को देश व प्रदेश में किसी न किसी रूप में मनाया जाता हैं।
कृष्ण चंद राणा, पांगी
सावन (श्रावण) मास की संक्रांति को देश व प्रदेश में किसी न किसी रूप में मनाया जाता हैं। चंबा जिला के विकास खंड पांगी में सावन संक्रांति को दखरेन के नाम से मनाया जाता है। घाटी में शुक्रवार को शुरू हुआ मेला मंगलवार को संपन्न हो गया है। पांगी के हुडान में चार दिन तक चले इस मेले में संक्रांति के पहले दिन मंदिर के कपाट खोले गए। दूसरे दिन राक्षस बंधन हुआ। तीसरे दिन हुडान में लगने वाले मेले में सुबह मेला ग्राउंड में भगवान शिव की पूजा की गई। मान्यता है कि राक्षस परिवार दूर से इस मेले को देखता है। चौथे दिन मेला संपन्न हो गया।
श्रावण मास में मनाया जाने वाला दखरेन का त्योहार शादीशुदा लड़कियों के लिए खास रहता है। सावन मास की संक्रांति (दखरेन) को पांगी के लोग नए अनाज के सत्तू और रोटियां बनाकर भगवान भोलेनाथ और अपने कुलदेवी-देवता को चढ़ाते हैं। इसके साथ ही अपनी शादीशुदा लड़कियों को हिस्सा देते हैं। किवदंती के अनुसार श्रावण मास और माघ माह को काला माह के नाम से जाना जाता हैं। संक्रांति से 15 दिन तक लोग जंगल में किसी काम के लिए नहीं जाते हैं। यह दिन राक्षसों के लिए छोड़ दिया जाता है। दखरेन मेले के दिन पुरुष व महिलाएं मिलकर नाटी डालते हैं। इस दौरान शिव का चेला अपने हाथ में त्रिशूल लेकर उस ओर जाने की कोशिश करता है, जहां से राक्षस परिवार मेला देख रहे होते हैं। दूसरा चेला उसको रास्ते से यह कहकर वापस लाता है कि इनको भी देखने दो, जिसके बारे में यह मान्यता है कि राक्षस परिवार यह समझते हैं कि मानव परिवार की एकता को वे नहीं तोड़ सकते हैं, इसलिए वे शाम को वापस अपने निवास स्थान को चले जाते हैं। भगवान शिव के भक्त मान चंद चौहान ने बताया कि दखरेन मेले में पुरुष व महिलाएं इकट्ठे नाटी डालते हैं।