खेल मैदान के निर्माण के लिए बिना अनुमति काट दिए हरे पेड़
संवाद सहयोगी घुमारवीं राजकीय महाविद्यालय घुमारवीं में बनने जा रहे खेल के मैदान के लिए हरे पेड़ों की बलि दे दी गई।
संवाद सहयोगी, घुमारवीं : राजकीय महाविद्यालय घुमारवीं में बनने जा रहे खेल के मैदान में महाविद्यालय प्रशासन ने कुछ हरे पेड़ों को काट दिया है। जानकारी के अनुसार राजकीय महाविद्यालय में कुछ साल पहले एक खेलकूद मैदान बनाने के लिए सरकार की तरफ से भूमि का अधिग्रहण किया गया था। इस भूमि पर काफी मात्रा में हरे पेड़ लगे थे। कालेज प्रशासन ने इस मैदान को बनाने के लिए चारों तरफ से कटान का काम शुरू किया था। लेकिन महाविद्यालय प्रशासन की तरफ से ग्राउंड के बीच में आ रहे हरे पेड़ों को मिट्टी के नीचे दबा दिया गया, जबकि कुछ हरे पेड़ों की बिना अनुमति के ही बलि चढ़ा दी है।
मौके पर पाया गया कि ग्राउंड से निकाली जा रही मिट्टी को ग्राउंड के एक तरफ फेंका गया है। जहां पर कुछ सफेदे के हरे पेड़ों को मिट्टी के नीचे दबा दिया गया है। इसके अलावा कुछ पुराने कटे हुए पेड़ भी मौके पर मिले हैं तथा कुछ समय पहले के मिट्टी दबे दिख रहे हैं।
वहीं ग्राउंड के दूसरी तरफ कटे हुए पेड़ों का ढेर लगाया गया था जिन्हें देखकर लगता है कि ये पहले से काटकर यहां फेंके गए हैं।
कालेज प्रशासन पर इससे पहले भी बिना अनुमति हरे पेड़ों को काटने का आरोप लग चुका है। इसके लिए वन विभाग पहले भी जुर्माना लगा चुका है। लेकिन दोबारा से कालेज प्रशासन की अनदेखी तथा लापरवाही से कुछ हरे पेड़ों की बलि चढ़ा दी गई है। बताया जा रहा है कि यह सारा कार्य विभागीय अनुमति तथा वन विभाग की परमिट लिए बगैर ही इन पेड़ों को मिट्टी के नीचे दबा दिया गया है जिसकी सूचना लोगों द्वारा दी गई है।
मामला उजागर होते ही कालेज प्रशासन तथा वन विभाग भी एकाएक हरकत में आ गया तथा अब सारे मामले की तफ्तीश की जा रही है कि यह पेड़ किसकी अनुमति से काटे गए हैं।
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पेड़ों को काटने की विभाग से कोई अनुमति नहीं ली गई है। विभाग कल ही इसकी जांच के लिए अधिकारी की नियुक्ति कर इसकी जांच करेगा। इसके बाद ही कुछ बताया जा सकता है।
-देशराज, रेंज आफिसर, वन विभाग भराड़ी।
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पेड़ों को काटने की मुझे कोई जानकारी नहीं है लेकिन महाविद्यालय प्रशासन की तरफ से वन विभाग को पेड़ों के कटान के लिए अप्लाई किया गया है। अभी तक वन विभाग की तरफ से अनुमति नहीं दी गई है।
-रामकृष्ण, प्राचार्य, राजकीय महाविद्यालय घुमारवीं।