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महामारी से घबराए नहीं, डटकर लड़ें : विक्रम

सतर्कता जागरूकता स्वच्छता व दृढ़ इच्छाशक्ति से कोरोना महामारी को मात दी जा सकती है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Sep 2020 04:50 PM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2020 06:21 AM (IST)
महामारी से घबराए नहीं, डटकर लड़ें : विक्रम
महामारी से घबराए नहीं, डटकर लड़ें : विक्रम

संवाद सहयोगी, भराड़ी : सतर्कता, जागरूकता, स्वच्छता व दृढ़ इच्छाशक्ति से कोरोना महामारी को मात दी जा सकती है। कोरोना के खिलाफ बनाए गए नियमों व डॉक्टरी सलाह का पालन करें, फिर देखिये कोरोना कैसे भागता है। यह कहना है उपतहसील भराड़ी के तहत ग्राम पंचायत घंडालवीं के गांव बाड़ी के 32 वर्षीय विक्रम चौहान का। वह भारतीय सेना में सेवाएं दे रहे हैं।

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वह अपनी माता के निधन पर चार अगस्त को घर आए। उन्होंने खुद को होम क्वारंटाइन किया। पड़ोस में एक कमरे में अलग से रहने लगे। पांच अगस्त को उनके टेस्ट हुए। सात अगस्त को आई रिपोर्ट में पॉजिटिव निकले।

विक्रम चौहान ने कहा उन्हें किसी भी तरह की कोई बीमारी नहीं लग रही थी। महीने में एक दो बार बुखार रहा लेकिन टेस्ट में पॉजिटिव आने की वजह से उन्हें अलग रहना पड़ा । डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं लेते रहे और प्रतिदिन अनुलोम- विलोम, कपाल भारती किया। उनके परिवार में पत्नी, पांच वर्षीय बेटा और ढाई वर्षीय बेटी है । वह एक महीने से भी ज्यादा समय तक परिवार से अलग रहे।

पांच सितंबर को पांचवीं बार टेस्ट होने के बाद विक्रम चौहान नेगेटिव पाए गए । जब वह सात अगस्त को पॉजिटिव पाए गए तो उन्हें होम आइसोलेट रखा गया। उनको खाना व अन्य सामान उनके ताया के बेटे सुरेंद्र कुमार दिया करते थे। वह कहते हैं कि मुझे अपनी माताजी के निधन का जितना दुख है, उसके साथ-साथ मुझे इस बात का भी गर्व है कि मेरा परिवार इस बीमारी में मेरी ताकत बनकर मेरे साथ खड़ा रहा। मैंने इस जंग को परिवार की वजह से जीता है। वह कहते हैं कि ऐसे हालात में सबसे पहले आप अपने आपको अकेले में रखें और परिवार के साथ न रहें। हमेशा सफाई का ध्यान रखें। हाथ बार-बार धोएं। मुंह, नाक व आंख पर अनावश्यक हाथ न लगाएं और पॉजिटिव होने की स्थिति में घबराए नहीं, बीमारी से लड़ें और डॉक्टर द्वारा दी गई हर सलाह का पालन करें ।

उन्होंने बताया कि मुझे प्रतिदिन डॉक्टर फोन पर हालचाल पूछते थे और आशा वर्कर सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मी हाल-चाल पूछते रहते थे। मैं जैसा पहले था वैसा ही अभी हूं । मैं अपने आप को सौभाग्यशाली समझता हूं कि भगवान की कृपा से व बुजुर्गो के आशीर्वाद से तथा मेरे परिवार के सहयोग व प्यार से इस लड़ाई से जीत सका।


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