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रात को लाइट जलाकर सोने से शरीर में कैंसर कोशिकाएं होती हैं एक्टिव

एक रिसर्च के मुताबिक रात को लाइट जलाने के सोने से हमारी स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ता है। आज हम आपको बताएंगे कि ऐसा करने से आपके स्वास्थ्य को क्या क्या नुकसान उठाना पड़ता है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 31 Aug 2016 11:58 AM (IST)Updated: Wed, 31 Aug 2016 12:50 PM (IST)
रात को लाइट जलाकर सोने से शरीर में कैंसर कोशिकाएं होती हैं एक्टिव

हमारी रोजमर्रा की छोटी-छोटी आदतें स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों का कारण बनती हैं। सुबह उठने के बाद से लेकर रात में सोते वक्त हमारी जो भी दिनचर्या होती है उसका सीधा संबंध स्वास्थ्य से होता है। एक रिसर्च के मुताबिक रात को लाइट जलाने के सोने से हमारी स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ता है। आज हम आपको बताएंगे कि ऐसा करने से आपके स्वास्थ्य को क्या क्या नुकसान उठाना पड़ता है।

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बता दें कि रौशनी शरीर के लिए दवा की तरह काम करती है लेकिन दवा भी ज़रुरत से ज्यादा ली जाए तो नुकसानदायक साबित होती है। अगर हम रात में भी कृत्रिम रौशनी को अपने इर्द-गिर्द जलाए रखते हैं तो इससे हमारे शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे हमारी नींद प्रभावित होती जिस कारण हमारे ब्लड प्रेशर में असामान्य उतार चढ़ाव आ सकता है। दरअसल कृत्रिम रोशनी हमारे मस्तिष्क पर असर डालती है।

रिपोर्ट में साफ़ कहा गया है कि इसकी सीधी वजहों के बारे में तो पता नहीं लगाया जा सका है लेकिन ये तय है कि यदि हम रात को सोते समय रोशनी जलाकर रखते हैं तो ये शरीर में कैंसर कोशिकाओं को एक्टिव करता है। इस सम्बंध में 10 साल तक हुए एक अध्ययन से इस बात की पुष्टि हुई है कि सोने के माहौल में यदि रोशनी हो तो ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका में 22 फीसदी की बढ़ोत्तरी होती है। जबकि अंधेरे में सोने वाली महिला को इस तरह का कोई रिस्क नहीं होता।

आपको शायद पता नहीं लेकिन बंद आंखें भी इस बात को जानती हैं कि बिजली जल रही है। नतीजत गहरी नींद नहीं आ पाती। आपने यदि गौर किया हो तो कभी भी फोन या टैबलेट की अचानक लाइट जल जाने से हमारी नींद खुल जाती है। मतलब साफ है कि कृत्रिम बिजली के कारण गहरी नींद नहीं ली जा सकती।

अगर आप रात के समय कंप्यूटर में काम करते हैं या फिर कम बिजली में पढ़ते हैं तो इससे तनाव का स्तर बढ़ जाता है। असल में रात के समय प्राकृतिक रूप से अंधेरा हो रहा होता है जबकि हम कृत्रिम रोशनी में पढ़ने की कोशिश करते हैं। इससे अवसाद से संबंधित बीमारियां होने का खतरा बना रहता है।

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