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पीलिया से न हों परेशान

बरसात के मौसम में पीलिया (जॉन्डिस) का प्रकोप कहीं ज्यादा बढ़ जाता है। पीलिया में त्वचा का रंग पीला हो जाता है। यह पीलापन रक्त में बिलिरुबिन बढ़ जाने के कारण होता है। लाल रक्त कोशिकाओं(रेड ब्लड सेल्स) का विघटन लिवर में होता है और उसमें मौजूद हीमोग्लोबिन के टूटने से बिलिरुबिन बनता

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 14 Jul 2015 03:17 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jul 2015 03:22 PM (IST)
पीलिया से न हों परेशान

बरसात के मौसम में पीलिया (जॉन्डिस) का प्रकोप कहीं ज्यादा बढ़ जाता है।

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पीलिया में त्वचा का रंग पीला हो जाता है। यह पीलापन रक्त में बिलिरुबिन बढ़

जाने के कारण होता है। लाल रक्त कोशिकाओं(रेड ब्लड सेल्स) का विघटन

लिवर में होता है और उसमें मौजूद हीमोग्लोबिन के टूटने से बिलिरुबिन बनता

है। यह बिलिरुबिन लिवर से पित्त थैली में जाता है और फिर पित्त की नली से होता हुआ

आंत में जाकर मल के साथ निकल जाता है।

क्यों बढ़ता है

बिलिरुबिन- रक्त में बिलिरुबिन बढऩे के तीन कारण होते हैं।पहला, रक्त की अधिक कमी

होना (हीमोलिटिक एनीमिया), दूसरा, लिवर का ढंग से विकसित न होना (इममैच्योर्ड लिवर।

उदाहरण के तौर पर नवजात शिशु में लिवर की बीमारी जैसे हेपेटाइटिस और

सिरोसिस आदि। तीसरा, पित्त की थैली या

नली की बीमारियां जैसे फंसी हुई पथरी या

कैंसर।

मुख्य कारण- वयस्कों और बच्चों में

जॉन्डिस या पीलिया की मुख्य वजह है

हेपेटाइटिस, जो लिवर में वाइरल के

इंफेक्शन से होता है। हेपेटाइटिस पांच

प्रकार(हेपेटाइटिस ए, बी, सी.डी. ई.) का

होता है। इन सब में हेपेटाइटिस ए. ही मुख्यत- ज्यादातर जनसंख्या को परेशान

करता है। इसका संक्रमण वाइरस के जरिये होता है, जो मरीज के मल द्वारा विसर्जित

होकर खाने-पीने की वस्तुओं के जरिये अन्य लोगों को ग्रस्त कर देता है। खराब सीवर

सिस्टम और स्वच्छता के अभाव के कारण पीलिया जल्दी फैलता है। बरसात में बाढ़ के पानी के जरिये भी इसका फैलाव तेजी से होता है।

प्रमुख लक्षण

- उल्टी होना।

- जी मिचलाना।

- बेचैनी और बुखार।

- लगभग एक सप्ताह के बाद आंख में

पीलापन दिखना शुरू होता है।

- पेशाब सरसों के तेल के रंग का पीला

होना।

- भूख बहुत कम हो जाती है। मरीज यह

शिकायत करता है कि उसे खाना देखकर

उल्टी आ जाती है।

जांचें- रक्त की जांच में बढ़े हुए सीरम

बिलिरुबिन का पता चलता है। एसजीपीटी

जांच भी करायी जाती है।

इलाज- पीलिया में आम तौर पर दवाएं

लक्षणों के अनुसार ही दी जाती हैं। जब तक

उल्टी की समस्या है, तब तक तरल पदार्थ

ही लें। कभी-कभी उल्टी के काबू में न

आने पर ग्लूकोज चढ़ाने की जरूरत भी पड़

सकती है, परंतु हर मरीज में नहीं। उल्टियां बंद होने के बाद घर का साधारण खाना ही लेना

चाहिए। कम घी और कम मसाला युक्त आहार लेना चाहिए। हेपेटाइटिस के संक्रमण से बचने के लिए देश का सीवर सिस्टम ठीक करना होगा। मरीज के मल का उचित विसर्जन और मरीज द्वारा स्वच्छता सुनिश्चित रखने से हेपेटाइटिस ए का

संक्रमण रुक सकता है। निजी सुरक्षा के लिए हेपेटाइटिस ए. का टीका लगवाना चाहिए।

हेपेटाइटिस बी. और सी. का संक्रमण असुरक्षित इंजेक्शन या असुरक्षित रूप से

रक्त चढ़ाने से होता है। ऐसे संक्रमण से बचने के लिए. हेपेटाइटिस बी. का टीका बहुत कारगर है, परन्तु हेपेटाइटिस सी. का टीका उपलब्ध नहीं है।

डॉ. निखिल गुप्ता वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ


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