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न्यूमोनिया लापरवाही ठीक नहीं

फेफड़ों में होने वाले संक्रमण को न्यूमोनिया कहते हैं। यह रोग किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन बच्चों और वृद्ध लोगों में इस मर्ज से प्रभावित होने की प्रवृत्ति अधिक होती है। जो मरीज किसी ऐसी बीमारी से पीड़ित हैं, जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 30 Dec 2014 11:42 AM (IST)Updated: Tue, 30 Dec 2014 11:47 AM (IST)

फेफड़ों में होने वाले संक्रमण को न्यूमोनिया कहते हैं। यह रोग किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन बच्चों और वृद्ध लोगों में इस मर्ज से प्रभावित होने की प्रवृत्ति अधिक होती है। जो मरीज किसी ऐसी बीमारी से पीड़ित हैं, जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता(इम्यूनिटी सिस्टम) कम हो गया हो, उनमें इस रोग के होने की आशंका अधिक होती है और मृत्यु दर भी अधिक होती है। जैसे- डाइबिटीज, सीओपीडी, कैैंसर, गुर्दा प्रत्यारोपण, और एड्स आदि रोगों से ग्रस्त लोग। न्यूमोनिया मुख्यतया दो प्रकार का होता है

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कम्युनिटी एक्वायर्ड: इस तरह के न्यूमोनिया में मरीज को संक्रमण अपने घर पर, कार्यालय में या किसी सार्वजनिक स्थल पर हो सकता है।

दूसरे तरह के न्यूमोनिया को हॉस्पिटल एक्वायर्ड न्यूमोनिया कहते हैं, जो आमतौर पर अस्पताल में भर्ती के दौरान होता है। सघन चिकित्सा कक्ष में यह रोग तेजी से फैल सकता है। विशेष रूप से जो मरीज वेंटीलेटर पर रहते हैं। उनमें मृत्यु दर बहुत अधिक होती है।

कारण: इस रोग का मुख्य कारण वातावरण में पाए जाने वाले बैक्टीरिया और वाइरस हंै। कभी-कभी बिना किसी संक्रमण के भी न्यूमोनिया हो सकता है, जिसका एक कारण कारण कैैंसर से संबंधित है। इसके अलावा खाद्य पदार्र्थों के कुछ कण जो फेफड़ों में चले जाते हैं, उनसे भी न्यूमोनिया हो सकता है। इस स्थिति को एस्पिरेशन न्यूमोनिया कहते हैं।

लक्षण

- तेज बुखार आना।

- खांसी आना और सांस की तकलीफ होना।

- सीने में दर्द और कभी-कभी खांसी में खून आना इस रोग के मुख्य लक्षण है। बीमारी का पता चिकित्सकीय परीक्षण और एक्सरे के द्वारा किया जाता है।

उपचार- मुख्य तौर पर न्यूमोनिया का उपचार एंटीबॉयोटिक्स दवाओं द्वारा किया जाता है। अगर रोग की तीव्रता अधिक हो, तो मरीज को अस्पताल मेंं भर्ती होने की आवश्यकता भी पड़ सकती है।

सजग रहें- समय रहते इलाज न होने की स्थिति में सेप्टीसीमिया और रेस्पाएरेट्री फेल्यर (श्वसन तंत्र का कार्य न करना) से मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।

बचाव- सर्दी में ठंड से बचाव रखना चाहिए । कुछ वैक्सीन्स भी इस रोग के बचाव में कारगर हैं।

डॉ. ए. के. सिंह पल्मोनोलॉजिस्ट


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