जवाहर नवोदय विद्यालय के छात्र की पीजीआइ में मौत
संवाद सहयोगी, खिजराबाद : चुहड़पुर कलां स्थित जवाहर नवोदय स्कूल में पढ़ने वाले छात्र सागर क
संवाद सहयोगी, खिजराबाद : चुहड़पुर कलां स्थित जवाहर नवोदय स्कूल में पढ़ने वाले छात्र सागर की चंडीगढ़ पीजीआइ में उपचार के दौरान मौत हो गई। परिजनों ने स्कूल प्रशासन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। स्कूल प्रशासन ने बच्चे के बीमार होने की सूचना परिजनों को समय पर नहीं दी। यदि सागर के बीमार होने कि सूचना उन्हें सही समय पर दी जाती तो सागर बच सकता था। परिजनों ने स्कूल मुखिया और स्कूल स्टाफ में से कोई भी सागर के अंतिम संस्कार पर नहीं पहुंचने पर भी रोष जाहिर किया।
नैनावली निवासी सूरजभान ने बताया कि उसका का बेटा सागर जवाहर नवोदय स्कूल आठवीं कक्षा में पढ़ता था। 27 अगस्त को उनके पास स्कूल से फोन आया कि सागर की तबीयत ठीक नहीं है। इसलिए सागर को स्कूल से ले जाएं। जब वे स्कूल में सागर को लेने पहुंचा तो सागर स्कूल ग्राउंड में पढ़ा था। सागर ने बताया कि वह कई दिनों से बीमार है। उसने कई बार प्रि¨सपल और अन्य अध्यापकों से घर बताने के लिए बोला, लेकिन किसी ने भी घर पता नहीं दिया। सुबह उसको ग्राउंड में ही चक्कर आ गया था। स्टाफ उसको वहीं छोड़कर चला गया। सूरजभान ने बताया कि वह अपने बेटे को लेकर यमुनानगर गया, लेकिन वहां पर कोई सुधार नहीं हुआ। उसके बाद सागर को वे चंडीगढ़ पीजीआइ चले गए। शनिवार को सागर की मौत हो गई। सूरजभान का आरोप है कि यदि ¨प्रसिपल ने सागर के परिवार को बीमार होने की समय रहते सुचना दी होती तो उसकी जान बच सकती थी। बीमार सागर का भी हालचाल जानने के लिए विद्यालय की ओर से कोई नहीं आया। उन्होंने कहा कि उनका घर विद्यालय से मात्र चार किलो मीटर की दूरी पर है। परिजनों का कहना है कि उन्हें इस बात का दुख है कि उनका बेटा तीन वर्ष तक जिस विद्यालय का छात्र रहा है, उस विद्यालय के ¨प्रसिपल सागर की मौत का पता लगने के बाद भी अंतिम संस्कार तक पर नहीं आए। आरोप है कि जवाहर नवोदय विद्यालय में लगभग छह सौ विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते हैं, लेकिन फर्स्ट एड के सिवाय और कोई डॉक्टर नहीं है। न ही एंबुलेंस की सुविधा है।
इनसेट
बेबुनियाद हैं आरोप
परिजनों के लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। हमारे पास हर बात का रिकॉर्ड है। 26 अगस्त की रात को बीमार हुआ। बच्चे को तुरंत दवाई दिलाई गई थी। अगले दिन बुखार उतरने पर बच्चा पीटी क्लास में आया। इसी दौरान उनके पिता को भी फोन किया और वह लेने के लिए आ गया। बच्चे ने स्वयं छुट्टी के लिए आवेदन पत्र लिखा और अपने पिता के घर चल गया। हकीकत यह है कि पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता भी दी गई। पूरे स्कूल प्रशासन की संवदेनाएं उनके साथ हैं। हम स्वयं स्टाफ के साथ उनके घर गए।