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यमुना की स्वच्छता अधिकारियों की इच्छा शक्ति पर टिकी, सिर्फ समय पर काम पूरा करना है

जिले में फिलहाल घरों व फैक्टरियों से 190 एमएलडी गंदा पानी डिस्चार्ज हो रहा है। जिसमें से महज 90 एमएलडी ही ट्रीट हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 04:50 AM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 04:50 AM (IST)
यमुना की स्वच्छता अधिकारियों की इच्छा शक्ति पर टिकी, सिर्फ समय पर काम पूरा करना है
यमुना की स्वच्छता अधिकारियों की इच्छा शक्ति पर टिकी, सिर्फ समय पर काम पूरा करना है

सवांद सहयोगी, जगाधरी :

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लॉकडाउन में यमुना नदी और नहर का जल निर्मल है। यदि अधिकारी दिलचस्पी दिखाएं तो यमुना में स्वच्छ जल इसी तरह बहे। इसके लिए कोई बड़ा काम नहीं, सिर्फ अधिकारियों को निश्चित समय पर काम पूरा करना है। जिले में फिलहाल घरों व फैक्ट्रियों से 190 एमएलडी गंदा पानी डिस्चार्ज हो रहा है। जिसमें से महज 90 एमएलडी ही ट्रीट हो रहा है। बाकि पानी गाहे बेगाहे यमुना तक पहुंच रहा है। जिस कारण यमुना की धारा मैली हो रही है। इसको निर्मल बनाने के लिए प्रशासन ने एनजीटी की गाइड लाइन के मुताबिक खाका तैयार कर लिया है। यमुना एक्शन प्लान के तहत योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए आने वाले तीन साल में जिले में 100 एमएलडी तक के ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएंगे। जिसके बाद घरों व फैक्टरियों से निकलने वाला सारा गंदा पानी ट्रीट हो सकेगा। फिलहाल यह है स्थिति :

फिलहाल घरों व फैक्ट्रियों से निकलने वाले गंदे पानी में से 90 एमएलडी ही ट्रीट हो रहा है। जिसके लिए परवालो में 24 एमएलडी, बाड़ी माजरा में 10-10 एमएलडी व रेस्ट हाउस के पास 20 व 25 एमएलडी के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए हैं। दो तरह का गंदा पानी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से यमुना में बहाया जा रहा है। जिसमें घरों व फैक्ट्रियों से निकलने वाला गंदा पानी शामिल है। नियमानुसार फैक्ट्रियों में ट्रीट करने के बाद ही पानी को बाहर बहाया जाता सकता है। जबकि घरों से निकलने वाले गंदे पानी को जलापूर्ति एवं जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा लगाए गए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में ट्रीट करने के का प्रावधान है। इसके बाद ही उसे यमुना में बहाया जाता है।

190 एमएलडी डिस्चार्ज, हो रहा सिर्फ 90

जिले में रोजाना 190 एमएलडी गंदा पानी डिस्चार्ज हो रहा है। इसमें से महज 90 एमएलडी पानी ही ट्रीट किया जा रहा है। बाकि पानी को बिना ट्रीट किए बाईपास कर यमुना में बहा दिया जाता है। यही वजह है कि यमुना की धारा जिले से ही मैली होनी शुरू हो जाती है। करनाल, पानीपत, सोनीपत से दिल्ली पहुंचने से स्थिति बदतर हो जाती है। जो कसर बचती है वह दिल्ली में पूरी हो रही है। पिछले दिनों एनजीटी की टीम ने यमुनानगर का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। जिसके बाद प्रशासन को स्थिति दुरुस्त करने के निर्देश दिए। ताकि यमुना की धारा को मैली होने से बचाया जा सके। आने वाले दिनों में यमुनानगर से यमुना नदी व नहर मैली नहीं होगी। घरों व फैक्ट्रियों से निकलने वाले गंदें पानी को शत प्रतिशत पानी को ट्रीट करने के लिए 100 एमएलडी तक के और ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की जरूरत है। इसके लिए यमुना एक्शन प्लान तैयार कर लिया है। योजना पर जल्द ही काम शुरू कर दिया जाएगा।

- निर्मल कश्यप, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, यमुनानगर


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