Move to Jagran APP

यही फर्क है सत्ता में होते हुए नखरा नहीं है, काम तो तरीके से ही होंगे

पोपीन पंवार यमुनानगर बाढ़ की चपेट में आने से दो बार उजड़ चुका गांव कनालसी के लोगों का प्रेम यमुना नदी के प्रति कम नहीं है। यहां कोई भी मछुआरा यमुना से मछली नहीं पकड़ सकता।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 01:31 AM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 06:32 AM (IST)
यही फर्क है सत्ता में होते हुए नखरा नहीं है, काम तो तरीके से ही होंगे
यही फर्क है सत्ता में होते हुए नखरा नहीं है, काम तो तरीके से ही होंगे

पोपीन पंवार, यमुनानगर:

loksabha election banner

बाढ़ की चपेट में आने से दो बार उजड़ चुका गांव कनालसी के लोगों का प्रेम यमुना नदी के प्रति कम नहीं है। यहां कोई भी मछुआरा यमुना से मछली नहीं पकड़ सकता। तस्कर गोवंश को पार नहीं करा सकते। यमुना में गंदगी डालने की इजाजत नहीं है। अगर कोई ऐसा करता है तो ग्रामीण उस पर नाराज हो जाते हैं। इन दिनों ये ग्रामीण बहुत ज्यादा परेशान है। प्रशासन और गलत तरीके से माइनिग करने वालों से। इसकी वजह है कि ग्रामीणों ने पर्यावरण को बचाने के लिए यमुना किनारे पर काफी संख्या में फलदार और छायादार पौधे रोपित किए थे। ये सारे पेड़ अवैध माइनिग की भेंट चढ़ गए। ग्रामीणों की राजनीति में रुचि भी है। सत्ता और विपक्षी नेताओं का ग्रामीणों के बीच काफी आना-जाना है। गांव का हाल जानने के लिए जागरण टीम लोगों के बीच पहुंची। जैसे ही बूड़िया चौक से बूड़िया की ओर मुड़े तो कल तक जहां गड्ढों की भरमार थी। आज वह गड्ढा मुक्त हो गई। वाहन स्पीड से दौड़ रहे थे। पहले आलम ये था कि जरा सी नजर चूके तो वाहन ऊपर और चालक नीचे। जैसे ही बूड़िया पुल पर पहुंचे तो गड्ढों ने स्वागत किया। किसी तरह से शहजादपुर अड्डा पर पहुंचे। यहां पर ओवरलोड ट्रक काफी संख्या में दिखाई दिए। ये पुलिस और प्रशासन को नजर नहीं आते। ओवरलोड के कारण सड़क गायब है। गड्ढे ही गड्ढे है। इनके कारण कई घरों के चिराग बुझ चुके हैं। कुछ समय पहले शहजादपुर के युवक की ओवरलोड वाहन की चपेट में आने से मौत हो गई थी। इसकी मौत से गुस्साए लोगों ने जाम लगा दिया था। थाना बूड़िया प्रभारी को भाग कर जान बचानी पड़ी थी। कनालसी गांव की तरफ रुख किया तो इस सड़क का भी बुरा हाल था। भारी वाहनों ने इसे भी तोड़ दिया। टूटी सड़क की नाराजगी गांव में घुसते दिखाई दी। टूटी सड़क से नाराज

गांव के किसान पंकज से गांव के मोड़ पर मुलाकात हुई। उससे बातचीत की तो उन्होंने प्रशासन पर टूटी सड़क की भड़ास निकालनी शुरू कर दी। बातचीत के दौरान वह अपनी बैठक में ले गया। वहां पहले से ही आठ से 10 ग्रामीण हुक्का पीते हुए देश की राजनीति की बात कर रहे थे। इस बातचीत में हम भी शरीक हुए। इसी दौरान घर के मुखिया किरणपाल ने आवभगत की तैयारी कर दी। मक्खन डला मट्ठा आ गया। ग्रामीणों की चर्चा भी काफी तेज हो गई। चौपाल पर मौजूद सुरेश, अनिल, सुरेंद्र, यशुप्रताप, अमित, पृथ्वीराज, ब्रृज राणा और जितेंद्र राणा का कहना था कि कोई कुछ भी कहे। सत्ता पक्ष के नेताओं में नखरे नहीं है। इनसे मिलना आमजन के लिए आसान है। चार दिन पहले ओलावृष्टि से बिलासपुर उपमंडल के किसान बर्बाद हो गए। जैसे ही इसका पता स्पीकर कंवरपाल को लगा तो गाड़ी उठाकर किसानों के बीच खेतों में पहुंच गए। तीन दिन से भाजपा प्रत्याशी रतन लाल कटारिया भी किसानों के बीच घूम रहे हैं। विपक्ष की नेता कुमारी सैलजा को किसानों के बीच आना था। शाम तक नहीं आई। वे रात को पहुंची। तब तक उनके इंतजार कर किसान वहां से जा चुके थे, न उन्हें किसान मिले और न ही अंधेरे में अच्छी तरह नुकसान देख सकी। बातचीत यही खत्म नहीं हुई। राहुल गांधी और मोदी की भी तुलना की। उनका ये भी कहना था कि भ्रष्टाचार पर पहले से रोक तो लगी है, लेकिन पूरी तरह नहीं। समस्या पानी निकासी की

उनके गांव में विकास नहीं हुआ। गांव की सबसे बड़ी समस्या निकासी की है। कई नेता इस समस्या को दूर करने की बात कह चुके हैं, लेकिन समस्या दूर नहीं करा पाए। इस बीच सुरेश बोले कि पहली बार किसी सरकार ने किसानों के बारे में कुछ सोचा है। ये खुद में बड़ी बात है। ये है दिक्कत

कनालसी गांव के लोगों की जमीन यमुना पार है। प्रशासन ने उनका अस्थायी पुल तोड़ दिया। जबकि दूसरे पुल हैं। गांव में निकासी की व्यवस्था नहीं है। नालियों में गंदगी जमा है। बरसात के दिनों में ज्यादा दिक्कत आती है। यमुना पर पेड़ लगाए गए थे। जिन लोगों ने उन पेड़ों को उजाड़ा है। उन पर कार्रवाई हो। गांव में आने वाली मुख्य सड़क को ठीक किया जाए। इसलिए चर्चा में है गांव

इस गांव में लक्खी बंजारा का बनाया हुआ कुआं आज भी मौजूद है। बंदा बहादुर ट्रस्ट इस गांव के विकास की प्लानिग कर रही है। यहां के गांव के लोगों ने यमुना नदी की खुद सफाई करते हैं। विदेशी भी स्वच्छ यमुना को देखने को आते हैं। लंदन के रिसर्चर यमुना और थपाना नदी पर शोध करने आ चुके हैं। वे यमुना का पानी टेस्टिग के लिए साथ ले गए थे। गांव डिस्पोजल मुक्त है। किसी भी समारोह में डिस्पोजल का प्रयोग नहीं होता। बच्चों को यमुना बचाओ समिति के पदाधिकारी यमुना तट पर संस्कृति का पाठ पढ़ाते हैं। करनाल के सगा शामली गांव के लोग यहां पर आए थे। उन्होंने गांव बसाया। बाद में यहां बूड़िया व मुजफ्फरनगर के गांव दूधली के कुछ लोग यहां आए। इससे यहां की आबादी बढ़कर तीन हजार पर पहुंच गई। ये भी कहा जाता है कि कनालसी और गागट गांव में दो भाईयों के नाम पर बसे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.