महिलाओं ने परिवार के कहने पर नहीं, अपने विवेक से दी वोट
महिलाएं वोट डालने की परंपरा को तोड़कर मुद्दों पर वोट करने लगी हैं। शुरू से ये परंपरा रही है कि घर का मुखिया पिता या पति जिस पार्टी और प्रत्याशी को सपोर्ट करता है। महिला उसी के पक्ष में वोट करती आई हैं। इस बार ऐसा नहीं दिखाई दिया।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : महिलाएं वोट डालने की परंपरा को तोड़कर मुद्दों पर वोट करने लगी हैं। शुरू से ये परंपरा रही है कि घर का मुखिया पिता या पति जिस पार्टी और प्रत्याशी को सपोर्ट करता है। महिला उसी के पक्ष में वोट करती आई हैं। इस बार ऐसा नहीं दिखाई दिया। मतदान केंद्रों पर आई महिलाओं का कहना है कि वे विकास को वोट करने आई हैं। सबका विकास सबके साथ होना चाहिए। इसी को ध्यान में रखकर मत का प्रयोग किया है। भ्रष्टाचार दूर रहे। जो जनप्रतिनिधि चुना जाए वह उनके लिए काम करे। सुरक्षा को भी ध्यान में रखा है।
जगाधरी की शिल्पी अग्रवाल का कहना था कि उन्होंने अपनी मर्जी से अपनी पसंद के प्रत्याशी को वोट किया है। वह पढ़ी लिखी महिला हैं। अपना और शहर का अच्छा बुरा सोच सकती हैं। ऐसे में उन्हें वोट डालने से पहले किसी से यह सलाह लेने की जरूरत नहीं है कि किसको वोट करना है।
बाकरपुर की सीमा का कहती हैं कि शिक्षा व्यवस्था में और सुधार आए। शिक्षा की बात करने वाले के पक्ष में उनका वोट गया है। शिक्षा के अवसर और बढ़े। ऐसे में वह शिक्षा पर ध्यान देने वाली पार्टी और प्रत्याशी को वोट डालकर आई हैं। उनका वोट महिला सशक्तीकरण के नाम पर गया है।
अमादलपुर की शिक्षा देवी का कहना है कि उनको प्रत्याशियों के बारे ज्यादा जानकारी नहीं है। उनका वोट ऐसी पार्टी को गया है, जो वास्तव में विकास करेगी। भ्रष्टाचार दूर हुआ है।। जनता की परेशानी समझने वाली सरकार बने इसके लिए वोट का प्रयोग किया है।
नया गांव की सुनीता का कहना है कि अब पहले वाली बात नहीं है। परिवार का मुखिया जिधर कहेगा वहां जाकर वोट डाल देगी। आधुनिक युग में जब सभी अपना अच्छा बुरा सोच सकते हैं तो वह क्यों नहीं। उन्होंने उसको वोट दिया है, जिनके प्रयास से बेटियों को जीवनदान मिलने लगा है। इससे पहले लोगों की सोच बहुत संकीर्ण थी।