स्वरोजगार अपनाकर आत्म निर्भर बन रही महिला शक्ति
भगवानपुर की रीना रानी मुजाफत की सविता मलिकपुर की रीना चुहड़पुर की रजनी व सागड़ी की रिपी सहित ऐसे कई नाम हैं जो बेरोजगारी की बेड़ियों को तोड़कर आगे बढ़ी। स्वरोजगार को अपनाकर आत्मनिर्भर बनी हैं। पंजाब नेशनल बैंक की ओर से संचालित ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान से प्रशिक्षण से लेकर यह संभव हो पाया है।

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : भगवानपुर की रीना रानी, मुजाफत की सविता, मलिकपुर की रीना, चुहड़पुर की रजनी व सागड़ी की रिपी सहित ऐसे कई नाम हैं जो बेरोजगारी की बेड़ियों को तोड़कर आगे बढ़ी। स्वरोजगार को अपनाकर आत्मनिर्भर बनी हैं। पंजाब नेशनल बैंक की ओर से संचालित ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान से प्रशिक्षण से लेकर यह संभव हो पाया है। अब तक 7060 महिलाओं ने संस्थान से प्रशिक्षण लिया। इनमें से 4395 महिलाओं ने रोजगार शुरू कर दिया है। खास बात यह है कि कामकाज शुरू करने के लिए उनको बैंक की ओर से ही वित्तीय सहायता दी गई है। अलग-अलग कार्य के लिए लेती हैं प्रशिक्षण :
ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान की ओर से अलग-अलग कार्य के लिए कोर्स शुरू किए हुए हैं। 20 से अधिक कोर्स कराए जा रहे हैं। किसी की अवधि 10 दिन की है तो किसी की एक माह की। इन कोर्सों में होममेड मोमबत्ती मेकर, कंप्यूटरराइज्ड अकाउंटिग, पेपर कवर, इनवेल्प एंड फाइल मेकिग, मधुमक्खी पालन, वस्त्र चित्रकला उद्यमी, मशरूम कल्टीवेशन, सिलाई-कढ़ाई, डेयरी फार्मिंग, कैंडल मेकिग, पिगरी, मोबाइल रिपेयर एंड सर्विस, जूट प्रोडक्ट, आर्टिफिशियल ज्वेलरी, फास्ट फूड उद्यमी व अन्य कई कोर्स शामिल हैं। मशरूम उत्पादन भी महिलाएं बेहतरी से कर रही हैं। खुद भी आत्मनिर्भर, दूसरों को भी दिया रोजगार :
नगला गांव की चीनू, सुजाता व सुमन का कहना है कि ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान से प्रशिक्षण लेने के बाद उनके जीवन में बड़ा बदलाव आया है। उनके पास किसी तरह का रोजगार नहीं था। अब मशरूम उत्पादन कर रही हैं। अन्य कई महिलाएं उनके साथ जुड़ी हुई हैं। इसी तरह नगला की चीनू व राजपुरा की मंगलेश का कहना है कि प्रशिक्षण लेकर उन्होंने सीएसएसी सेंटर शुरू किया। सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए ग्रामीणों को शहर की दूरी नहीं तय करनी पड़ती। अब उनको गांव में ही सभी तरह सेवाएं उपलब्ध हो रही हैं। रामपुर की बेबी बताती हैं कि वह ब्यूटी पार्लर चला रही है। अच्छी आमदन हो जाती है। घर की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आया है। महिलाएं बेहतरी से कर रही मशरूम कल्टीवेशन व मधुमक्खी पालन :
संस्थान से प्रशिक्षण लेकर महिलाएं मशरूम कल्टीवेशन व मधुमक्खी पालन भी बेहतरी से कर रही हैं। जरूरी नहीं है कि महिलाएं केवल सिलाई-कढ़ाई की कर सकती हैं। संस्थान की ओर से वित्तीय सहायता सुनिश्चित कर दी जाती है। अलग-अलग कोर्स के लिए अलग-अलग राशि निर्धारित है। लोन के लिए न सिक्योरिटी ली जाती है और न ही गारंटी की आवश्यकता होती है।
सुशील कुमार कटारिया, निदेशक, ग्रामीण स्वरोजगार, प्रशिक्षण संस्थान।
Edited By Jagran