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भगवान शिव के चरित्र से मिलती अनेक प्रकार की शिक्षा : भारती

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से खेड़की ब्रह्माणान में शिव कथा का आयोजन किया गया। साध्वी मीनाक्षी भारती ने कथा प्रसंग करते हुए कहा कि देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। इसमें अनेक निधियों की प्राप्ति हुई, लेकिन इस मंथन के तहत जब समुद्र से विष निकला तो उसे भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Nov 2018 06:53 PM (IST)Updated: Fri, 02 Nov 2018 06:53 PM (IST)
भगवान शिव के चरित्र से मिलती अनेक प्रकार की शिक्षा : भारती
भगवान शिव के चरित्र से मिलती अनेक प्रकार की शिक्षा : भारती

संवाद सहयोगी, रादौर : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से खेड़की ब्रह्माणान में शिव कथा का आयोजन किया गया। साध्वी मीनाक्षी भारती ने कथा प्रसंग करते हुए कहा कि देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। इसमें अनेक निधियों की प्राप्ति हुई, लेकिन इस मंथन के तहत जब समुद्र से विष निकला तो उसे भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया।

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भगवान शिव के चरित्र से प्राणियों को अनेक प्रकार की शिक्षा मिलती है। वर्तमान में राष्ट्र के नेताओं व समाज के सेवकों का यही कर्तव्य है कि वह उत्तम से उत्तम पदार्थ प्रजा को दें और आज समाज को शिव जैसे नेता की आवश्यकता है। अमृतपान के लिए तो सभी उत्सुक रहते हैं, लेकिन विष पान के लिए तो केवल भगवान शिव ही हैं। साध्वी ने कहा कि भगवान शिव अपने श्रृंगार के माध्यम से समस्त मानव जाति को समझा रहे हैं कि जब आप सतगुरू के सानिध्य में जाओगे तो वे दीक्षा देकर सर्वप्रथम आपकी भी भृकुटी में स्थित तीसरी आंख या दिव्य नेत्र प्रकट करेंगे। इस नेत्र के खुलते ही आप तत्क्षण अपने भीतर परमात्मा केतत्व स्वरूप दिव्य प्रकाश का दर्शन करेंगे। भगवान शिव के मस्तक पर सुशोभित चंद्रमा इसी आंतिरक्ष प्रकाश का प्रतीक है। आप अपने अंदर शंख,नगाड़ों का अनहद संगीत भी श्रवण कर पाएंगे, भगवान शिव का डमरू इसी अनहद नाद का प्रतीक हैं। आप अपने भीतर उस पाप नाशक, दिव्य नाम को भी प्रकट कर पाओगे, जो संसार की किसी भाषा में वर्णो को जोड़कर नहीं कहा जा सकता। जो शब्दातीत है, बस गुरु द्वारा हमारी सांसों में प्रकट होता है। इसका सुमिरन चौबीसों घंटे किया जा सकता है। मौके पर जसबीर ¨सह सैनी सरपंच खेड़की, सोहनलाल सरपंच सढूरा, चमनलाल, जो¨गद्र कांबोज चमरोड़ी आदि उपस्थित थे।


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