बेरोकटोक दौड़ते ओवरलोड वाहन, नतीजा हर रोज सड़कों पर दम तोड़ रही ¨जदगियां
एक तरफ सड़कों पर दौड़ते ओवरलोड वाहन हैं, तो दूसरी ओर रोड इंजीनिय¨रग की खामी। नतीजा हर रोज सड़कों पर ¨जदगियां दम तोड़ रही हैं। एक सप्ताह में हर रोज जिले में सड़क हादसा हो रहा है। जिसमें किसी का बेटा, भाई, तो किसी का पति या पत्नी मर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : एक तरफ सड़कों पर दौड़ते ओवरलोड वाहन हैं, तो दूसरी ओर रोड इंजीनिय¨रग की खामी। नतीजा हर रोज सड़कों पर ¨जदगियां दम तोड़ रही हैं। एक सप्ताह में हर रोज जिले में सड़क हादसा हो रहा है। जिसमें किसी का बेटा, भाई, तो किसी का पति या पत्नी मर रहे हैं। बावजूद इसके प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है। रविवार की सुबह फतेहगढ़ गांव के पास एक और युवक बजरी से भरे डंपर की चपेट में आकर जान गंवा बैठा। बीकेडी रोड पर इन ओवरलोड वाहनों की वजह से हर रोज कोई न कोई हादसा होता रहता है। लोगों में रोष है, तो प्रशासन के प्रति। जो इन पर अंकुश लगाने में नाकाम हैं। यहां तक कि इन ओवरलोड वाहनों की वजह से सड़कों की लाइफ भी घट रही है। सड़कें गड्ढ़ों में तब्दील हो रही हैं।
पिछले छह माह में ओवरलोड वाहनों से हुए हादसे
-सात मई - नाहरपुर निवासी जयराम को खजूरी रोड पर डंपर ने कुचल दिया।
-आठ मई - लकड़ी से भरी ट्रैक्टर ट्रॉली ने बाइक सवार शेखुपुरा के संदीप व विनोद को कुचला।
-9 मई - मानकपुर के पास बजरी से भरे ट्रक ने मां बेटी को कुचला।
10 मई- पंजाब के रोपड निवासी निर्मल की कैंटर से भिडंत।
-15 मई -कन्हैया साहिब चौक के पास ओवरलोड ट्रक ने बाइक को टक्कर मारी, पीछे बैठी गढ़ी बीरबल की भतेरी देवी की मौत।
-25 जून- दैनिक रेल यात्री संघ के नरेश कुमार को ट्रक ने कुचला।
-25 सितंबर- सुढैल के पास कलापुर के प्रदीप कुमार की ट्रक की चपेट में आने से मौत।
-नौ अक्टूबर -बीकेडी रोड पर ट्रैक्टर ट्रॉली की टक्कर से बाइक सवार की मौत।
-10 अक्टूबर- डंपर ने बाइक सवार खजूरी के उधम ¨सह को कुचला।
-13 नवंबर - सुढ़ैल मोड के पास ट्रक ने बाइक सवार दो नवयुवकों ससौली निवासी विशाल व राहुल को कुचला।
-15 नवंबर - स्कूटी पर आ रहे शेर ¨सह की प्राइवेट बस की चपेट में आने से मौत।
-16 नवंबर - विधायक घनश्याम दास अरोड़ा के भाई श्याम सुंदर की सड़क हादसे में मौत।
हादसों की रिपोर्ट ¨चताजनक
एडीजीपी ओपी ¨सह की रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में प्रदेश में 1046 मर्डर हुए। जबकि 5120 लोगों की मौत सड़क हादसों में हो चुकी है। 2018 में अब तक प्रदेश में 3882 लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हो चुकी है। जबकि यमुनानगर में 2017 में 36 लोगों की हत्या हुई। जबकि 290 लोगों की मौत सड़क हादसों में हुई। इसके अलावा 2018 में यमुनानगर में अब तक 28 मर्डर हुए। जबकि 207 लोग सड़क हादसों में मर गए। इनमें अधिकतर 30 साल से नीचे के युवा हैं। यमुनानगर में अधिकतर हादसे रोड इंजीनिय¨रग की खामी व ओवरलोड की वजह से हो रहे हैं।
हादसों की मुख्य वजह
सड़कों पर तीव्र मोड़ हैं। कुछ जगह संकेतक बोर्ड लगे हैं, लेकिन वह अंग्रेजी में हैं। यातायात नियमों का पालन न होना। सड़कों पर बने गड्ढे, ओवरलोड वाहनों का तेज गति से दौड़ना।
सबसे अधिक दिक्कत खनन सामग्री के वाहनों से
हादसों का मुख्य कारण खनन सामग्री के वाहन हैं। ये ओवरलोड चलते हैं, दूसरा इनकी स्पीड बहुत अधिक होती है। खनन के अलावा लकड़ी की ट्रेक्टर ट्रॉली भी ओवरलोड चलती हैं, क्योंकि यहां पर लकड़ी का भी बड़ा कारोबार है। सूत्रों के मुताबिक खनन जोन में कार्य करने वाले वाहन चालकों को स्पष्ट निर्देश होते हैं कि वह रास्ते में ट्रक या डंपर न रोके। चाहे कोई भी सामने आ जाए। वाहन नहीं रोकना है। पिछले दिनों नए बाइपास पर चे¨कग के लिए एक ट्रक को ईटीओ ने रोका, तो उनकी कार को टक्कर मार दी गई थी। बड़ी मुश्किल से सड़क किनारे कूदकर उन्होंने जान बचाई। फतेहगढ़ में जो हादसा हुआ। उसमें भी ग्रामीण ट्रक चालक के नाबालिग होने का दावा कर रहे हैं।
ये है चालान की स्थिति
खनन सामग्री के वाहनों के ओवरलोड चलने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है। यहां पर सबसे अधिक चालान होते हैं। इस महीने में अब तक 50 लाख रुपये का राजस्व आरटीए वसूल चुका है। बावजूद इसके ओवरलोड वाहनों पर अंकुश नहीं लग रहा। मुख्य कारण यह है कि आरटीए की कार्रवाई एक या दो दिन के चलती है। इसके बाद टीमें शांत बैठ जाती है। खनन जोन का एरिया बड़ा होने की वजह से उनका टारगेट भी आसानी से पूरा हो जाता है।