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ट्रांसफार्मर से तांबे की तार चोरी के मामले में पुलिस की कहानी कोर्ट में पड़ी झूठी, आरोपित बरी

थाना छप्पर के गांव महेश्वरी के खेतों से ट्रांसफार्मर से तांबे के तार व अन्य सामान चोरी के मामले में पुलिस ने कोर्ट में जो कहानी पेश की वह टिक नहीं पाई।

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Feb 2021 09:00 AM (IST)Updated: Sat, 06 Feb 2021 09:00 AM (IST)
ट्रांसफार्मर से तांबे की तार चोरी के मामले में पुलिस की कहानी कोर्ट में पड़ी झूठी, आरोपित बरी
ट्रांसफार्मर से तांबे की तार चोरी के मामले में पुलिस की कहानी कोर्ट में पड़ी झूठी, आरोपित बरी

संवाद सहयोगी, जगाधरी : थाना छप्पर के गांव महेश्वरी के खेतों से ट्रांसफार्मर से तांबे के तार व अन्य सामान चोरी के मामले में पुलिस ने कोर्ट में जो कहानी पेश की, वह टिक नहीं पाई। बिजली निगम के अधिकारी भी कोर्ट में साबित नहीं कर पाए कि आरोपित से जो सामान बरामद किया गया है, वह निगम का ही है। पार्टों की चोरी थाना छप्पर के क्षेत्र से हुई। जबकि पुलिस ने सामान की बरामदगी वारदात के करीब पांच महीने बाद जोडि़या नाके के पास दिखाई। आरोपित चोरी के बाद सामान को इतने दिनों तक संभाल कर क्यों रखता, यह कहानी भी कोर्ट में साबित नहीं हो सकी। वकील मोहित शर्मा के मुताबिक केस की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश विजयंत सहगल की कोर्ट ने आरोपित हरनौल निवासी रामकुमार को बरी कर दिया।

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24 अप्रैल 2018 की रात को गांव महेश्वरी निवासी धर्मपाल के खेतों में 20 केवीए ट्रांसफार्मर से 70 किलो तांबे के तार, लोहे की रोड व अन्य सामान चोरी हो गया था। बिजली निगम को 23 हजार 275 रुपये का नुकसान हुआ था। बिजली निगम के एसडीओ वतन सिंह ने 26 अप्रैल 2018 को छप्पर पुलिस को शिकायत दी थी। पुलिस ने दो मई 2018 को केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। रिकवरी के दौरान नहीं बनाया गवाह

वकील मोहित शर्मा ने बताया कि चोरी की वारदात के करीब पांच महीने बाद पुलिस ने जोडि़या नाके के पास से आरोपित से तार बरामद किए थे। पुलिस के मुताबिक वह उन्हें बेचने के लिए जा रहा था, लेकिन पुलिस ने इस दौरान कोई स्वतंत्र गवाह नहीं बनाया। पुलिस ने दावा किया था कि आरोपित ने पूछताछ के दौरान वारदात स्वीकार की। कोर्ट ने पुलिस की दलील को सिरे से खारिज कर दिया। आरोपित इतना सामान अकेले कैसे लेकर गया, यह भी कोर्ट में साबित नहीं हो पाया। बाजार में आसानी से मिल जाती है ऐसी क्वाइल

केस की सुनवाई के दौरान पुलिस ने कोर्ट में दावा कि उन्होंने आरोपित से ट्रांसफार्मर से चोरी किए तार को बरामद किया है। बिजली निगम के एसडीओ ने कोर्ट में तर्क दिया कि बरामद तार पर कोई विशेष चिह्न उपलब्ध नहीं था। एसडीओ ने स्वीकार किया था कि पुलिस की ओर से बरामद किया तार बाजार में आसानी से मिल जाता है। दो केसों में हुआ बरी

वकील के मुताबिक पुलिस ने आरोपित पर ट्रांसफार्मर से तार चोरी के झूठे केस बनाए हुए हैं, दो में कोर्ट ने बरी कर दिया है। पिजौरी गांव में चोरी के मामले में एडीजे अमरिद्र शर्मा की कोर्ट ने आरोपित को एक जनवरी को बरी किया था।


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