कथा में बताया शिव के गले में सांप होने का महत्व
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से गांव खेड़ी ब्राह्मण में चल रही चार दिवसीय शिव कथा के तीसरे दिन साध्वी मीनाक्षी भारती ने बताया कि भगवान शिव के तन पर सांप लिपटे हुए हैं। प्रभु का यह पक्ष बहुत ही प्रेरणा देने वाला है।
संवाद सहयोगी, रादौर : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से गांव खेड़ी ब्राह्मण में चल रही चार दिवसीय शिव कथा के तीसरे दिन साध्वी मीनाक्षी भारती ने बताया कि भगवान शिव के तन पर सांप लिपटे हुए हैं। प्रभु का यह पक्ष बहुत ही प्रेरणा देने वाला है। पहला ये सांप काल के प्रतीक हैं। ये भगवान शिव के गले या भुजाओं पर तीन-तीन घेरे लेकर लिपटे रहते हैं। ये तीन घेरे भूत, वर्तमान और भविष्य के प्रतीक हैं। भगवान का इन्हें आभूषण रूप में धारण करना यह बतलाता है कि उन्होंने काल को जीता हुआ है। भगवान शिव कालातीत है। दूसरा ये सांप धन, लोभ के भी प्रतीक हैं। सांप खजाने पर कुंडली मारकर बैठा रहता है। इसलिए भगवान शिवजी इन्हें अपने वश में रखकर यह दर्शाते है कि उन्होंने माया को जीत लिया है। अत: भगवान शिव के कंठ में लिपटे ये सांप इशारा करते हैं कि हम भी कैलाश पति का दर्शन कर काल और माया को जीतने की कोशिश करें। तीसरा सांप बहुत तामसी और विकारी जीव माना जाता है। यह इतना स्वार्थी और उग्र है कि अपनी कोख जनी संतान तक को मारकर खा जाता है। एक दुर्गुणी प्राणी होते हुए भी शंकर के गले का हार है। यह भगवान शिव की शक्ति और करूणा दोनों के बारे में बताता है। ब्रह्माज्ञान में स्थित साधुजनों को भी और इस संसार को भी अपना साथ, अपना प्यार देते हैं।