निगम के कर्जदार, मूल के बराबर संपत्ति कर का ब्याज
संपत्ति कर पर ब्याज माफी की योजना का लाभ जल्दी ही शहरवासियों को मिलना शुरू हो जाएगा। योजना से संबंधित नोटिफिकेशन निगम कार्यालय में पहुंच गया है। नोटिफिकेशन मिलने के बाद संपत्तिकर का डाटा अपडेट किए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। निगम की ओर से सरकारी विभागों सहित अन्य करदाताओं को पत्र भेजकर लंबित संपत्तिकर अदा करने के लिए कहा जाएगा।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
संपत्ति कर पर ब्याज माफी की योजना का लाभ जल्दी ही शहरवासियों को मिलना शुरू हो जाएगा। योजना से संबंधित नोटिफिकेशन निगम कार्यालय में पहुंच गया है। नोटिफिकेशन मिलने के बाद संपत्तिकर का डाटा अपडेट किए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। निगम की ओर से सरकारी विभागों सहित अन्य करदाताओं को पत्र भेजकर लंबित संपत्तिकर अदा करने के लिए कहा जाएगा। खास बात यह है कि मूलधन व ब्याज की राशि में ज्यादा अंतर नहीं है। बकाया राशि की करीब आधा ब्याज है। सरकारी विभागों की यदि बात की जाए तो करीब 14 करोड़ रुपये लंबित हैं। इसमें से करीब साढे छह करोड़ ब्याज राशि है। ऐसी ही स्थिति निजी संस्थानों पर लंबित कर की है। करीब 40 करोड़ रुपये लंबित है। इस तरह बढ़ता गया ब्याज
नियमित रूप से संपत्ति कर अदा न किए जाने पर निगम की ओर से 18 प्रतिशत सलाना ब्याज लगाया जाता है। ऐसे सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों की संख्या कम नहीं है जिन्होंने आज तक संपत्ति कर भरने की जहमत नहीं उठाई। ब्याज की राशि बढती चली गई और यह कर करोड़ों में पहुंच गया। हालांकि सरकार की ओर से समय-समय पर छूट भी दी गई,लेकिन बकायादारों ने इस छूट का भी फायदा नहीं उठाया। बता दें कि दाताओं को वर्ष-2010-11 से लेकर वर्ष 2020-21 तक के लंबित संपत्ति कर पर ब्याज की एकमुश्त छूट देने की घोषणा 18 दिसंबर को की थी, लेकिन इसका नोटिफिकेशन निगम को नहीं मिला था। ये विभाग सबसे आगे
तेजली खेल परिसर पर करीब दो करोड़ 90 हजार रुपये संपत्तिकर बकाया है। जानकर हैरानी होगी कि करीब एक करोड़ 37 लाख रुपये ब्याज बनता है। मतलब मूलधन का करीब आधा। ऐसे ही पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस विश्वकर्मा चौक पर करीब दो करोड़ 30 लाख रुपये संपत्तिकर है। इस पर ब्याज की राशि करीब एक करोड़ आठ लाख रुपये है। सिविल अस्पताल, मार्केट कमेटी सहित अन्य कई विभाग ऐसे हैं जिन पर ब्याज की राशि लाखों में है। ऐसे विभागों के लिए निगम अधिकारी ब्याज माफी की योजना को सुनहरा अवसर करार दे रहे हैं। नहीं बरती गई सख्ती
वार्ड नंबर चार से पार्षद देवेंद्र सिंह, वार्ड पांच से पार्षद विनय कांबोज, वार्ड नंबर 15 से पार्षद निर्मला चौहान व वार्ड 20 से पार्षद रेखा राणा का कहना है कि संपत्ति कर की रिकवरी के लिए नगर निगम स्तर पर आज तक सख्ती नहीं बरती गई है। बकायादारों पर खास मेहरबानी बरती गई। जिसका नतीजा यह हुआ कि बकाया राशि करोड़ों में पहुंच गई। यदि शुरुआती दौर में सख्ती बरती जाती तो निगम को इतना मोटा नुकसान नहीं उठाना पड़ता। कई बार दिए जा चुके नोटिस
निजी संस्थानों पर करीब 40 करोड़ रुपये बकाया है। इसकी रिकवरी के लिए बकायादारों को एक नहीं बल्कि कई-कई बार नोटिस दिए जा चुके हैं। ऐसे व्यावसायिक भवन मालिक, निजी अस्पताल, माल, शिक्षण संस्थानों की कमी नहीं है जिन जिन्होंने कई-कई वर्ष से संपत्तिकर अदा नहीं किया। नगर निगम आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है। सफाई व्यवस्था, स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत जैसी जरूरी सुविधाएं और कर्मचारियों का वेतन निगम प्रशासन अपनी आय से मुहैया कराता है। प्रापर्टी टैक्स नगर निगम की आय का एक बड़ा जरिया है।