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मंद पड़ा बेसहारा गोवंश को गोशाला पहुंचाने का अभियान

गोवंशों को गोशाला तक पहुंचाने के लिए शुरू किया गया नगर निगम का अभियान धीमा पड़ने लगा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 Sep 2020 06:09 AM (IST)Updated: Sun, 06 Sep 2020 06:09 AM (IST)
मंद पड़ा बेसहारा गोवंश को गोशाला पहुंचाने का अभियान

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

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गोवंशों को गोशाला तक पहुंचाने के लिए शुरू किया गया नगर निगम का अभियान एक सप्ताह भी ठीक से नहीं चला। एक सप्ताह में निगम की टीम मात्र 52 गोवंश ही पकड़ पाई। जबकि सड़कों पर अभी भी गोवंश झुंड बनाकर बैठे रहते हैं। जगाधरी में पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस के पास सबसे ज्यादा गोवंश बैठे रहते हैं परंतु वहां से अभी तक एक भी गोवंश नहीं पकड़ा गया। निगम कर्मचारी गोवंश पकड़ने में गंभीरता नहीं दिखा रहे। शहर में अचानक बढ़ी गोवंश की संख्या

शहर में अचानक गोवंशों की संख्या बढ़ी है। इतने गोवंश कहां से आए इसका पता लगाने की भी निगम अधिकारियों ने कोशिश ही नहीं की। ग्रामीण क्षेत्र में तो यह बोल दिया जाता है कि ग्रामीण दूध नहीं देने वाले पशुओं को चुपचाप छोड़ कर चले जाते हैं। लेकिन शहर में तो ऐसा नहीं हो सकता। लोगों का कहना है कि इन गोवंशों को दूसरे जिलों के लोग गुपचुप तरीके से वाहनों में भरकर छोड़ जाते हैं। यदि ऐसा है तो गंभीर मामला है। गोवंश रात को बढ़ा रहे दिक्कत बेसहारा गोवंश के कारण सबसे ज्यादा दिक्कत रात को होती है। क्योंकि शहर में इन्हें खाने के लिए चारा नहीं मिलता। इसलिए दिनरात चारे के लिए इधर-उधर भटकते रहते हैं। यही वजह है घूमते हुए गोवंश सड़क पर आ जाते हैं। रात को वाहन गोवंश से टकरा जाते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं। नगर निगम यदि इन गोवंश को पकड़ना नहीं चाहता तो इनके सींग पर रिफ्लेक्टर टेप लगा सकता है। ताकि रात को वाहन की रोशनी पड़ने पर रिफ्लेक्टर चमके और चालक दूर से ही अलर्ट हो जाएं। जगाधरी निवासी हरिओम कश्यप ने बताया कि सबसे ज्यादा दिक्कत जगाधरी में है। यहां सरकारी व प्राइवेट अस्पताल भी हैं। कई बार तो एंबुलेंस भी इनके चक्कर में फंस जातीं हैं।


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