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डॉ. अनिल पुंडीर की हादसे में मौत से शिक्षक जगत में शोक

जीजेयू (गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी) के रजिस्ट्रार डॉ. अनिल कुमार पुंडीर की सड़क हादसे में मौत से यमुनानगर के शिक्षक जगत में भी शोक का माहौल है। वह लंबे समय तक एमएलएन कॉलेज में प्रोफेसर रहे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Dec 2019 08:00 AM (IST)Updated: Tue, 17 Dec 2019 08:00 AM (IST)
डॉ. अनिल पुंडीर की हादसे में मौत से शिक्षक जगत में शोक
डॉ. अनिल पुंडीर की हादसे में मौत से शिक्षक जगत में शोक

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

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जीजेयू (गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी) के रजिस्ट्रार डॉ. अनिल कुमार पुंडीर की सड़क हादसे में मौत से यमुनानगर के शिक्षक जगत में भी शोक का माहौल है। वह लंबे समय तक एमएलएन कॉलेज में प्रोफेसर रहे। यमुनानगर से उनका जुड़ाव रहा है। यहां भी प्रोफेसर कॉलोनी में उनका मकान है। हालांकि वह अभी परिवार के साथ हिसार में रह रहे थे।

सोमवार को हिसार में उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए यमुनानगर से भी प्रोफेसर व अन्य पहुंचे। एमएलएन कॉलेज के अलावा अन्य कॉलेजों से भी प्रोफेसर अंतिम संस्कार में शामिल होने पहुंचे थे। एमएलएन शिक्षण संस्थाओं के महासचिव डॉ. रमेश कुमार ने बताया कि वह बेहद मिलनसार थे। पहले वह यही पर पढ़े और बाद में इसी कॉलेज प्रोफेसर के पद पर उनका चयन हो गया। यहां उन्होंने लंबे समय तक इलेक्ट्रॉनिक्स पढ़ाई।

मूलरुप से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के सोना अर्जुनपुर गांव के रहने वाले डॉ. पुंडीर वर्ष 2003 में यमुनानगर आ गए थे। परिवार में पत्नी गीता, बेटा पार्थ व बेटी अवि है। एक भाई राजीव यूएसए के न्यूयार्क में रहता है। बेटे पार्थ की तेजली रोड पर सीमेंट की एजेंसी है। पढ़ाई के दिनों में उनके सहपाठी रहे रविद्र राणा ने बताया कि वह डॉ. पुंडीर के साथ कुरुक्षेत्र युनिवर्सिटी के हॉस्टल में रहते थे। बता दें कि रविवार को डॉ. अनिल पुंडीर अपनी दो बहनों के साथ सालासर से हिसार लौट रहे थे। जब वह सिवानी के गैंडावास गांव के पास अनियंत्रित गैस से भरा टैंकर उनकी गाड़ी पर पलट गया और गाड़ी उसके नीचे दब गई। हादसे में उनके अलावा उनकी बहनों व ड्राइवर की मौत हो गई।

नेचर से बड़ा लगाव था डॉ. पुंडीर का :

डॉ. अनिल पुंडीर का नेचर से बड़ा लगाव था। पढ़ाई के दिनों से ही उन्हें प्रकृति से लगाव था। यही वजह थी कि जब तक वह एमएलएन कॉलेज में रहे, तब भी उन्होंने अधिक से अधिक पेड़ लगाने पर जोर दिया। घर पर भी वह अधिक से पेड़ पौधे लगाकर रखते थे। इन्होंने अमेरिका, इंडोनेशिया, फ्रांस में रिसर्च पेपर बढ़े। जब से वह हिसार यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार बने, तब से वह युनिवर्सिटी को ए ग्रेड में लेकर आए।


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