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बिना क्लोरीन पेयजल की सप्लाई, डोजर खराब, आधा दर्जन सैंपल फेल, लोग बीमार

ट्यूबवेलों से घरों में जो पानी सप्लाई किया जा रहा है उसमें क्लोरीन नहीं मिलाई जा रही। ज्यादातर नलकूपों पर क्लोरीन मिलाने के लिए डोजर नहीं है। यदि हैं भी तो वे खराब पड़े हैं। इससे घरों में बैक्टीरियायुक्त पानी सप्लाई हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 08:10 AM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 08:10 AM (IST)
बिना क्लोरीन पेयजल की सप्लाई, डोजर खराब, आधा दर्जन सैंपल फेल, लोग बीमार
बिना क्लोरीन पेयजल की सप्लाई, डोजर खराब, आधा दर्जन सैंपल फेल, लोग बीमार

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : ट्यूबवेलों से घरों में जो पानी सप्लाई किया जा रहा है, उसमें क्लोरीन नहीं मिलाई जा रही। ज्यादातर नलकूपों पर क्लोरीन मिलाने के लिए डोजर नहीं है। यदि हैं भी तो वे खराब पड़े हैं। इससे घरों में बैक्टीरियायुक्त पानी सप्लाई हो रहा है। गत माह शहर और गांवों से विभाग के लिए गए पानी के सौंपलों से छह सैंपल फेल हो चुके हैं। पानी की क्वालिटी सही न होने से लोग बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। इससे सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में टाइफाइड, पीलिया, पेट दर्द समेत अन्य बीमारियों से ग्रस्त मरीजों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। इसका कारण पानी का शुद्ध न होना बताया जा रहा है, मगर पब्लिक हेल्थ के अधिकारियों का इस तरफ ध्यान नहीं है।

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एसडीओ ऑफिस के सामने लगे ट्यूबवेल पर भी डोजर नहीं

दैनिक जागरण की टीम जगाधरी में पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस के नजदीक स्थित एसडीओ कार्यालय में पहुंची यहां पर एसडीओ (सीवरेज) के पास ही जलापूर्ति विभाग का भी चार्ज है। यहां लगे ट्यूबवेल में क्लोरीन सप्लाई करने के लिए डोजर की पाइप लगी थी, लेकिन ये पाइप ऐसे ही बाहर लटक रही थी। इस ट्यूबवेल पर डोजर था ही नहीं। कमरे के अंदर एक खाली टंकी जरूर रखी थी। शहर और ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे कई ट्यूबवेल हैं, जहां पर डोजर खराब पड़े हैं।

जिस कमरे में क्लोरीन, उसमें लेटे थे कुत्ते

एसडीओ कार्यालय के सामने ही एक कमरा था, जिसमें क्लोरीन से भरे कट्टे रखे थे। ज्यादातर कट्टे फटे हुए थे। टीम कमरे में पहुंची तो अंदर से एक कुत्ता डर कर बाहर भाग गया, जबकि दूसरा कुत्ता वहीं क्लोरीन के कट्टों के पास लेटा हुआ था। हो सकता है, कुत्ते क्लोरीन के फटे हुए कट्टों में मुंह मारते हों। कर्मचारी इसी क्लोरीन को पानी में मिला देते होंगे। ऐसे में पानी की शुद्धता पर भी सवालिया निशान लग रहा है।

लाखों रुपये का ठेका देकर भी यह हाल

क्लोरीन सप्लाई के लिए ठेकेदार को ठेका दिया जाता है। इसके टेंडर लाखों रुपये में होते हैं। ट्यूबवेल के पास ही पानी की टंकी रखी होती है, जिसमें निर्धारित मात्रा क्लोरीन मिलाई जाती है। ट्यूबवेल चलाने के साथ ही डोजर चल जाता है, जिससे बूंद-बूंद क्लोरीन ट्यूबवेल के पानी में मिलती रहती है। जिले में करीब 1422 ट्यूबवेल हैं।

यहां के फेल आए थे सैंपल

गत माह विभाग ने जठलाना में सार्वजनिक नल, शहर की यमुना गली में रामकुमार, प्रवीण कुमार के घर के अलावा बहादुरपुर, लालछप्पर और भगवानपुर गांव से पानी के सैंपल लिए थे। सभी सैंपलों में बैक्टीरिया पाया गया था।

जांच कराई जाएगी : सुमित गर्ग

जनस्वास्थ्य विभाग के एक्सईएन सुमित गर्ग का कहना है कि सभी ट्यूबवेल पर डोजर लगे हुए हैं। पानी की शुद्धता के लिए उसमें क्लोरीन मिलानी जरूरी है। यदि कहीं डोजर खराब है, तो उसकी रिपोर्ट मांगी जाएगी।


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