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छात्र और शिक्षकों ने लिया जल बचाने का संकल्प

जलपुरुष राजेंद्र सिंह को केंद्रित करते हुए दैनिक जागरण में प्रकाशित कहानी से छात्र बेहद प्रेरित हुए। उन्होंने जल का महत्व समझते हुए पानी बचाने का संकल्प लिया। साथ ही संस्कारशाला कार्यक्रम की मुक्तकंठ से प्रशंसा की।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 07:00 AM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 07:00 AM (IST)
छात्र और शिक्षकों ने लिया जल बचाने का संकल्प
छात्र और शिक्षकों ने लिया जल बचाने का संकल्प

जागरण संवाददाता, छछरौली : जलपुरुष राजेंद्र सिंह को केंद्रित करते हुए दैनिक जागरण में प्रकाशित कहानी से छात्र बेहद प्रेरित हुए। उन्होंने जल का महत्व समझते हुए पानी बचाने का संकल्प लिया। साथ ही संस्कारशाला कार्यक्रम की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। छछरौली के कलसिया सीनियर सेकेंडरी स्कूल की छात्रा खुशी गुप्ता मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में बच्चों को रेगिस्तान को हरा भरा करने की जिद कहानी पढ़कर सुनाई। बच्चों ने बाद पूछे गए सवालों के जवाब भी दिए।

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प्रिसिपल कैलाश कुमारी ने दैनिक जागरण के संस्कारशाला कार्यक्रम को बच्चों के लिए उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि पानी की कमी हो रही है। इसको संचय कैसे किया जा सकता है। इसका पता कहानी से चलता है। संस्कारशाला केवल बच्चों के लिए ही नहीं बल्कि बड़ों के लिए भी उपयोगी है। उन्होंने भी कहानी सुनी है।

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छात्र लाडी का कहना है कि संस्कारशाला की कार्यशाला के तहत पानी की बर्बादी रोकने तथा जल को संचय करने की सीख मिली। हम भी अब पानी बर्बाद होने से बचाने के लिए सभी को जागरूक करेंगे।

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छात्रा वंशिका कहती हैं कि संस्कारशाला की कहानी सुनकर एक सीख मिली कि जल संचय के लिए हमें घर गांव के पानी को नाले नाली के बजाय तालाब जोहड़ आदि में छोड़ना चाहिए। इससे पानी की बर्बादी रुकेगी।

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छात्रा खुशी कहती हैं कि हमें जलपुरुष राजेंद्र सिंह की कहानी से बहुत सीख मिली। जल के अत्यधिक दोहन को किस प्रकार रोकना है, यह पता चला। सजग होने से ही घटते जलस्तर को रोका जा सकेगा।

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छात्र पंकज ने कहा कि दैनिक जागरण के चलाई जा रही संस्कारशाला से हमें बहुत कुछ सीखने को मिला। घटते जल स्तर को किस प्रकार से रोका जा सकता है, इस पर काफी कुछ सीखने को मिला।

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खुशी गुप्ता का कहना है कि उन्होंने कहानी पढ़कर बच्चों को सुनाई है। ये प्रेरणादायक कहानी है। इससे निश्चित बच्चों की आदत में बदलाव आएगा। वे पानी बचाने की आदत डालेंगे। क्योंकि अकसर बच्चे खुले नल को बंद करने में रुचि नहीं दिखाते। इस कार्यक्रम के बाद जल संरक्षण में दूसरे लोगों को भी जागरूक करने में भूमिका निभाएंगे।


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