एक दिन में 40 की शर्त प्रमाणपत्र बनवाने के लिए दिव्यांगों की राह में अडं़गा
सिविल अस्पताल में दिव्यांगों के प्रमाणपत्र बनाए जाते हैं। इनके लिए यह राह आसान नहीं है। सुबह सात बजे पर्ची के लिए लाइन में लगते हैं। आठ बजे दस्तावेज चेक कक्ष के बाहर पहुंच जाते हैं। एक दिन में यहां 40 लोगों के ही दस्तावेज चेक किए जाते हैं बाकी को अगले सप्ताह आने के लिए कह दिया जाता है।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : सिविल अस्पताल में दिव्यांगों के प्रमाणपत्र बनाए जाते हैं। इनके लिए यह राह आसान नहीं है। सुबह सात बजे पर्ची के लिए लाइन में लगते हैं। आठ बजे दस्तावेज चेक कक्ष के बाहर पहुंच जाते हैं। एक दिन में यहां 40 लोगों के ही दस्तावेज चेक किए जाते हैं, बाकी को अगले सप्ताह आने के लिए कह दिया जाता है। यह शर्त इनकी राह में अड़ंगा बनी है। इंतजार के लिए ये लोग यहां-वहां कई घंटे बैठे रहते हैं। बाद में घर चले जाते हैं।
बिना प्रमाणपत्र के नहीं बनती पेंशन
प्रमाणपत्र न हो तो समाज कल्याण विभाग की ओर से पेंशन नहीं लगाई जाती। दस्तावेज का अहम हिस्सा है। इसको पाने के लिए इन लोगों को एक नहीं कई बार अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ते हैं। दस्तावेज चेक होने के बाद 12 बजे चिकित्सकों का बोर्ड बैठता है। सारी प्रक्रिया से गुजरने के दो दिन बाद प्रमाणपत्र इनको दिया जाता है।
सुबह सात बजे आए थे यहां
दस्तावेज चेक कक्ष के बाहर बैठे मोहन सिंह, सेवा राम, राजकुमार, दुलेर चंद आदि ने बताया कि वे दो बार पहले यहां आ चुके हैं। उनका नंबर ही दस्तावेज चेक कराने में नहीं आया। इस कारण वे चिकित्सक कक्ष तक जाने की प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाए। जब तक यहां दस्तावेज चेक नहीं होते हैं। वे लोग पैनल के पास नहीं जा सकते। आज भी उनका नंबर नहीं आ सका। उनको कर्मचारी ने बताया कि एक दिन में केवल 40 लोगों के ही दस्तावेज चेक होते हैं। बाकी को वापस भेज दिया जाता है।
सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विजय दहिया का कहना है कि दिव्यांगजनों के प्रमाणपत्र सप्ताह में एक दिन बनाए जाते हैं। किसी दस्तावेज में गड़बड़ न हो इसके लिए 40 लोगों के के ही दस्तावेज चेक किए जाते हैं। इनकी डॉक्टरी जांच भी होती है। डॉक्टर के पास अधिक भीड़ न हो इसलिए ये व्यवस्था की गई है।