स्ट्रीट लाइट की खरीद में घालमेल, विधानसभा पिटीशन कमेटी पहुंची दूसरी शिकायत
नगर निगम यमुनानगर-जगाधरी में अधिकारियों पर विकास कार्यों में घालमेल करने के आरोप लग रहे हैं।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : नगर निगम यमुनानगर-जगाधरी में अधिकारियों पर विकास कार्यों में अनियमितताओं के आरोप थमने का नाम नहीं ले रहे। विधानसभा की पिटीशन कमेटी में अभी पहली शिकायत की फाइल बंद नहीं हुई कि एक पूर्व पार्षद व दो अन्य ने दूसरी दायर कर दी। इस बार पूरे शहर की स्ट्रीट लाइटों और विकास कार्यो की निविदाओं को मुद्दा बनाया गया है। आरोप है कि मार्केट रेट से दोगुने रेट पर स्ट्रीट लाइटों के टेंडर अलॉट किए गए। ये बरती गई अनियमितताएं
- 30 अक्टूबर को 25 वॉट की एर्लइडी के लिए कॉल किए गए टेंडर में अनियमितताएं बरती गई हैं। इसमें दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करके फर्म को मुनाफा व नगर निगम को वित्तीय हानि पहुंचाने का आरोप है। नियमों के मुताबिक 90 फीसद पेमेंट लाइटों की इंस्पेक्शन के बाद व 10 फीसद राशि स्कि्योरिटी के तौर पर काटकर गारंटी पूर्ण होने के पश्चात की जानी थी, लेकिन टेंडर की शर्तों का उल्लंघन कंपनी को पूरी पेमेंट कर दी गई। परिणामस्वरूप लाइटें रिपेयर करवाने में परेशानी झेलनी पड़ रही है। नहीं रखा बफर स्टॉक
टोटल लाइटों का दो फीसद बफर स्टॉक एजेंसी से लिया जाना था ताकि खराब हुई लाइटों को वारंटी समय में बिना किसी देरी के बदला जा सके। इसका स्टॉक बकायदा रजिस्टर में इंद्राज किया जाता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कंपनी पर खास मेहरबानी दिखाई गई है। यह मेहरबानी भी कई तरह के सवाल छोड़ रही है। शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि वार्ड चार, नौ, 10 व 11 में 250-250 एलईडी लाइटें लगवाई गई थी। इन लाइटों की प्री-इंस्पेक्शन नहीं हुई। इसके अलावा लाइटों की क्वॉलिटी भी सही नहीं है। सस्ते ब्रांड की लाइटें लगाई गई हैं। मार्केट रेट व इनके रेट में अंतर है। एलईडी लाइट से संबंधित गारंटी का दस्तावेज भी नहीं लिया गया है।
यहां भी गड़बड़
मॉडल टाउन में डेकोरेटिव लाइटें लगाई गई हैं। इस कार्य में लगने वाले पोल और लाइट की कोटेशन अधिक रेट की लेकर अप्रूव कर दिए गए है जोकि मार्केट रेट से ज्यादा थे। इसके अलावा बिल की अदायगी को लेकर भी अनियमितताएं बरती गई हैं। इस मामले भी गहनता से जांच की जानी चाहिए। जगाधरी नौ मीटर मिनी टावर लाइट व यमुनानगर-जगाधरी के आठ वार्डों में पुरानी लाइटों को एलइडी में बदलने में भी नियमों का सरेआम उल्लंघन किया गया है।
नहीं हुई जांच, कर दिया भुगतान
गोविदपुरी रोड से संतपुरा गुरुद्वारा तक सड़क की चौड़ाई बढ़ाई गई है। इस कार्य में भारी अनियमितताएं बरती गई हैं जिसके कारण यह सड़क जगह-जगह से बैठ गई। हालांकि पार्षद विनोद मरवाह ने इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों को दी थी, लेकिन मामले को दबा दिया गया। मामले की जांच किए बगैर ही निर्माण करने वाली फर्म को पेमेंट कर दी गई है। आरोप है कि इसमें 300 एमएम की जगह 220 एमएम थिक की लेयर डलवाई गई। नगर निगम के उच्चाधिकारियों ने स्वयं मौका मुआयना किया था। बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं की गई। आरोप यह भी लग रहे हैं कि बिल्डर्स को लाभ पहुंचाने के लिए अवैध कालोनियों में सड़कें और नालियां बनवाई जा रही हैं। इस मामले की जांच की जानी चाहिए। मामले की हो निष्पक्ष जांच
शिकायतकर्ता पूर्व पार्षद नीरज राणा, जसपाल सिंह व पी सिंह का कहना है कि स्ट्रीट लाइटों और सिविल के कार्यों में नियमों का उल्लंघन हो रहा है। हमारा मकसद केवल नगर निगम के पैसे के दुरुपयोग को रोकना है। निगम में अधिकारियों की मनमानी पूरी तरह हावी है। इसलिए इस मामले की निष्पक्ष तौर पर जांच की जानी चाहिए।