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प्रदूषण जांच के नाम पर चल रहा खेल, कोई 30 तो कोई 80 रुपये में दे रहा प्रमाणपत्र

वाहनों के प्रदूषण जांच के नाम पर लोगों को ठगने का खेल चल रहा है। केंद्रों पर लोगा्रें से मनमाना रेट वसूला जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Apr 2021 07:20 AM (IST)Updated: Fri, 16 Apr 2021 07:20 AM (IST)
प्रदूषण जांच के नाम पर चल रहा खेल, कोई 30 तो कोई 80 रुपये में दे रहा प्रमाणपत्र
प्रदूषण जांच के नाम पर चल रहा खेल, कोई 30 तो कोई 80 रुपये में दे रहा प्रमाणपत्र

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : वाहनों के प्रदूषण जांच के नाम पर लोगों को ठगने का खेल चल रहा है। कहने को तो प्रदूषण प्रमाण पत्र आनलाइन बनता है। फिर भी इसकी फीस तय नहीं है। आनलाइन प्रमाण पत्र की अलग-अलग फीस कैसे हो सकती है। एक प्रदूषण जांच केंद्र पर छह माह का प्रमाण पत्र 30 रुपये में बन रहा है तो कुछ कदम की दूरी पर यह 80 रुपये का का बन रहा है। वाहन चालकों की भी समझ में नहीं आ रहा कि कम, ज्यादा रुपये के चक्कर में कहीं उन्हें फर्जी प्रमाण पत्र न थमा दिया जाए। इसलिए वह कई जगहों पर पूछताछ कर रहे हैं। 78 केंद्रों पर हो रही प्रदूषण जांच:

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वाहनों का प्रदूषण जांचने के लिए जिला में 78 केंद्र बनाए गए हैं। इनमें से ज्यादातर पेट्रोल पंप व अन्य वाहन एजेंसियों के पास स्थित हैं। परंतु किसी का भी रेट तय नहीं है। जगाधरी रेलवे स्टेशन रोड पर बाइक का छह माह का प्रमाण पत्र 30 रुपये, एक साल का 50 रुपये में बनाया जा रहा है। इसी के साथ ही पेट्रोल पंप के पास बने जांच केंद्र पर पूछताछ की तो कर्मचारी ने 50 रुपये में छह माह व 80 रुपये में एक साल का प्रमाण पत्र बनने की बात कही। इसके बाद दैनिक जागरण ने पंचायत भवन के सामने स्थित पेट्रोल पंप पर स्थित केंद्र पर पूछताछ की तो वहां कर्मचारी ने बताया कि यदि बाइक का मॉडल 2017 से पहले का है तो 80 रुपये में छह माह का प्रमाण पत्र बनेगा। यदि 2017 के बाद की है तो 80 रुपये में एक साल का प्रमाण पत्र बनेगा। 2017 से पहले का मॉडल के नियम बारे स्टेशन रोड पर पूछताछ की तो कर्मचारी बोला उनके यहां ऐसा कोई नियम नहीं है। ऑनलाइन फीस में नहीं हो सकता अंतर

यदि कोई व्यक्ति प्रदूषण जांच केंद्र चलाने वाले कर्मचारियों ने से रेट कम, ज्यादा होने के बारे में पूछता है तो एक जवाब मिलता है कि वह प्रमाण पत्र ऑनलाइन बनाते हैं। जबकि, दूसरा आनलाइन प्रमाण पत्र नहीं बना रहा होगा। यदि आनलाइन नहीं होगा तो पुलिस कहीं भी पकड़ कर चालान काट देगी। इसके लिए कर्मचारी ने वहां प्रदूषण प्रमाण पत्र बनवाने आए वाहनों का रिकार्ड वेबसाइट पर चेक भी कराया। दूसरा कर्मचारी भी आनलाइन बनाने का दावा करता है। यदि दोनों ही आनलाइन प्रमाण पत्र बना रहे हैं तो छह माह व साल की फीस में अंतर क्यों है। आनलाइन पोर्टल में तो कंप्यूटर निर्धारित से न तो कम फीस लेता है और न ही ज्यादा। वाहन चालक बोले इसकी जांच हो

बिलासपुर निवासी विनोद कुमार ने बताया कि उसने पंचायत भवन के सामने पेट्रोल पंप के नजदीक प्रमाण पत्र बनवाया। उससे 80 रुपये लिए और छह माह का प्रमाण पत्र बनाया गया। जबकि रेलवे स्टेशन रोड पर उसने जांच केंद्र पर फीस की लिस्ट लगी देखी तो वहां 30 रुपये में छह माह का बनाया जा रहा था। यदि रेट 30 रुपये है तो उससे 50 रुपये ज्यादा लिए गए। इसलिए इसकी जांच होनी चाहिए। जांच कर कार्रवाई करेंगे : गौरी मिड्डा

जगाधरी का अतिरिक्त कार्यभार देख रही अंबाला की आरटीए सचिव गौरी मिड्डा का कहना है कि आनलाइन फीस में अंतर नहीं होना चाहिए। यदि फीस कम ज्यादा ली जा रही है तो इसकी जांच कर कार्रवाई करेंगे।


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