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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ से बदली लोगों की सोच

आज अष्टमी पर घर-घर कन्या पूजन हो रहा है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के बाद लोगों की सोच बदली है। अब बेटियों को बेटों के बराबर माना जा रहा है। यही वजह है कि अब जिले का लिगानुपात भी बढ़ रहा है। जिले का लिगानुपात 915 पर है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 06:55 AM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 06:55 AM (IST)
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ से बदली लोगों की सोच
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ से बदली लोगों की सोच

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : आज अष्टमी पर घर-घर कन्या पूजन हो रहा है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के बाद लोगों की सोच बदली है। अब बेटियों को बेटों के बराबर माना जा रहा है। यही वजह है कि अब जिले का लिगानुपात भी बढ़ रहा है। जिले का लिगानुपात 915 पर है। स्वास्थ्य विभाग भी लगातार लिग जांच करने वालों पर निगरानी रख रहा है। रेड हो रही है। इसका भी असर पड़ा है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान से हर विभाग जुड़ा है और लोगों को भी इसके प्रति प्रेरित किया जा रहा है। यह रही अब तक की स्थिति

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माह-- 2014- 2015- 2016- 2017- 2018- 2019- 2020 जनवरी- 908- 850- 881 - 959 - 989 -949 - 1005 फरवरी - 981 - 945 - 898 -921 - 962 - 895 - 994 मार्च - 871 - 969 - 972 -974 - 951- 1011 - 882 अप्रैल- 827 - 861 - 844 - 963 - 895 - 941 - 881 मई - 835 - 838 - 937 - 856 - 934 - 883 - 904 जून - 881 - 881 - 840 - 937 - 917 - 1000- 839 जुलाई- 734 - 862 - 899 - 948 - 956 - 998 - 910 अगस्त- 866 - 802 - 889 - 905 - 969 - 943 - 894 सितंबर- 842 - 864 - 923 - 984 - 925 - 932 - 915 51 रेड हो चुकी अब तक

वर्ष 2015 में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान शुरू हुआ था। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीमें 51 रेड कर चुकी हैं। इनमें से 21 रेड में एमटीपी पकड़ी गई। जबकि 30 रेड पीएनडीटी की हुई। पड़ोसी राज्यों में हो रही लिग जांच

स्वास्थ्य विभाग ने टीमें लगातार निगरानी रखे हुए हैं। अधिकतर रेड में पड़ोसी राज्य उप्र से तार जुड़े मिले। कई मामलों में उप्र के सहारनपुर में रेड की गई। जहां से आरोपितों को लिग जांच करते टीम ने पकड़ा। अभी हाल ही में उप्र के सहारनपुर के नकुड में रेड की गई। जहां पर एक आरोपित जितेंद्र को पकड़ा गया। जबकि एक अन्य फरार हो गया था। सिविल सर्जन डा. विजय दहिया ने बताया कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को पूरी गंभीरता से लिया जा रहा है। लगातार इस बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है। समय-समय पर कार्यक्रम कराए जाते हैं। अब जिले की स्थिति काफी बेहतर हैं। जहां लिग जांच की सूचना मिलती है। टीमें रेड करती हैं। इसमें सफलता भी मिली है।


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