मारकंडा की जलधारा से प्रवाहित होगी सरस्वती नदी
आदिबद्री में डैम व झील के निर्माण को अनुमति के साथ ही मारकंडा को सरस्वती नदी से जोड़ने की योजना को भी हरी झंडी मिल गई है।
पोपीन पंवार, यमुनानगर
सरस्वती नदी में जल धारा बहे। इसके लिए सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड को एक और सफलता मिल गई है। आदिबद्री में डैम व झील के निर्माण को अनुमति के साथ ही मारकंडा को सरस्वती नदी से जोड़ने की योजना को भी हरी झंडी मिल गई है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय व अन्य विभागों ने इसकी स्वीकृति दे दी है। अब मारकंडा का जल सरस्वती नदी में प्रवाहित होगा। सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के वाइस चेयरमैन प्रशांत भारद्वाज का कहना है कि योजना को अनुमति मिल चुकी है। अब इस पर काम शुरू होगा। इसके लिए हमने पूरी तैयारी कर ली है। बनाई जाएगी आउट फाल ड्रेन
सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के एसई अरविद्र कौशिक के मुताबिक मारकंडा नदी पर बने जलबेड़ा हैड से कुरुक्षेत्र के बीबीपुर से कंटला सप्लाई चैनल निकाली जाएगी, जो बीबीपुर लेक तक आएगी। यहां से आउट फाल ड्रेन तैयार होगी। लेक से कुछ ही दूरी पर ड्रेन के माध्यम से मारकंडा का जल सरस्वती नदी में छोड़ा जाएगा। इसकी सभी तरह की कागजी कार्रवाई पूरी हो चुकी है। काम पूरा होते ही सरस्वती में जल की कमी नहीं रहेगी। छिलौर में 350 एकड़ में बनेगा रिजरवाए :
सरस्वती नदी के लिए बिलासपुर उपमंडल के गांव रामपुर कांबोज, रामपुरा हेडियान व छिलौर में 350 एकड़ जमीन पर रिजरवाए भी बनाया जाएगा। इसमें बरसात व पहाड़ों से आने वाला पानी स्टोर होगा। जरूरत पड़ने पर नदी में छोड़ा जाएगा। इस प्रोजेक्ट को भी मंजूरी मिल चुकी है। इस स्थान को अधिकारी पर्यटन की दृष्टि से तैयार करेंगे, ताकि इसकी सुंदरता को देखने के लिए यहां पर पर्यटक आते रहे, जिससे इस एरिया में रोजगार बढ़ेगा।
ये होगा लाभ मारकंडा को जोड़ने से
मारकंडा में बाढ़ आने पर आसपास के एरिया में भारी नुकसान होता है। मारकंडा को सरस्वती से जोड़ने पर बाढ़ की तबाही से राहत मिलेगी। अतिरिक्त पानी सरस्वती नदी में चला जाएगा। अधिकारी दो हजार क्यूसेक पानी सरस्वती में छोड़ने की योजना पर काम कर रहे हैं। इसकी क्षमता घटाई व बढ़ाई भी जा सकती है। जिस एरिया से मारकंडा का जल सरस्वती के लिए आएगा। वहां पर धार्मिक मान्यता के साथ वाटर लेवल में भी सुधार होगा। अच्छी फसल होने से खुशहाली आएगी।